बाल संरक्षण: छत्तीसगढ़ में महत्वपूर्ण बैठक, बाल विवाह रोकने पर जोर
बाल संरक्षण: छत्तीसगढ़ में महत्वपूर्ण बैठक, बाल विवाह रोकने पर जोर

छत्तीसगढ़ में बच्चों के अधिकारों और सुरक्षा को लेकर एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में राज्य बाल संरक्षण समिति और राज्य बाल कल्याण एवं संरक्षण समिति के सदस्य शामिल हुए। बैठक की अध्यक्षता महिला एवं बाल विकास विभाग की सचिव शम्मी आबिदी ने की।

बैठक में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई, जिसमें किशोर न्याय (बालकों की देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम, 2015 के क्रियान्वयन पर विशेष ध्यान दिया गया। सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों का पालन करने और बच्चों के लिए सुरक्षित वातावरण बनाने के लिए प्रभावी रणनीतियों पर भी चर्चा हुई।

बाल विवाह रोकथाम पर जोर

बैठक में बाल विवाह मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान के बारे में विस्तार से चर्चा की गई। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय द्वारा 10 मार्च 2024 को शुरू किया गया यह अभियान बच्चों के विवाह को रोकने के लिए काम कर रहा है। राज्य सरकार ने इस अभियान को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए विभिन्न विभागों के साथ मिलकर रणनीति बनाई है।

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बैठक में बताया गया कि राज्य में वित्तीय वर्ष 2023-24 में 161 और 2024-25 में 167 बाल विवाह रोके गए। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए ग्राम पंचायत स्तर पर अधिकारियों को नियुक्त किया जा रहा है।

बच्चों के हित में कार्य

बैठक में राज्य बाल संरक्षण समिति की ऑडिट रिपोर्ट 2023-24 और लेखाओं को भी प्रस्तुत किया गया। सभी उपस्थित सदस्यों को बच्चों के संरक्षण और उनके हित में किए जा रहे कार्यों की जानकारी दी गई। बच्चों की सुरक्षा और कल्याण के लिए सभी विभागों से सहयोग और समन्वय की आवश्यकता पर भी ज़ोर दिया गया।

बैठक में लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम-2012, लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण नियम-2020 और किशोर न्याय (बालकों की देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम, 2015 के क्रियान्वयन की समीक्षा की गई। इन कानूनों का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न विभागों को आवश्यक निर्देश दिए गए।

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गृह विभाग को लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम-2012 की धारा 19 (6) का पालन सुनिश्चित करने के लिए निर्देश दिए गए हैं। शिक्षा विभाग को पीड़ित बच्चों की शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है और कौशल विकास प्राधिकरण को बच्चों को रोजगार मूलक प्रशिक्षण देने का काम सौंपा गया है।

राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय के आदेश का पालन करते हुए बाल देखरेख संस्थाओं की निगरानी के लिए राज्य स्तरीय और जिला स्तरीय निरीक्षण समितियों का गठन किया है। सिविल सोसाईटी के लोगों को भी इन समितियों में शामिल किया गया है।

बैठक में महिला एवं बाल विकास विभाग ने सभी योजनाओं का नियमित अनुश्रवण करने और पीड़ितों को समय पर लाभ पहुंचाने के लिए एक तंत्र विकसित करने के निर्देश दिए हैं। बाल कल्याण समितियों को पॉक्सो अधिनियम और किशोर न्याय अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए त्वरित कार्यवाही करने के निर्देश दिए गए हैं।

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