बलौदाबाजार: बच्चों में कुपोषण एक गंभीर स्थिति है जो उनके शारीरिक और मानसिक विकास को प्रभावित करती है। छत्तीसगढ़ में राज्य सरकार द्वारा बलौदाबाजार भाटापारा में पोषण पुनर्वास केंद्रों का सफलतापूर्वक संचालन किया जा रहा है जिससे गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों को इससे मुक्ति मिल रही है।
सफल उपचार: जिला अस्पताल बलौदाबाजार के पोषण पुनर्वास केन्द्र से ठीक हुई पलारी विकासखंड के ग्राम कोनारी की 6 माह की बच्ची की माता हेमिन बाई ध्रुव के अनुसार उनकी बच्ची का वजन 3 किलोग्राम था। बच्ची को जिला अस्पताल में भर्ती कर पोषण आहार दिया गया और उसका वजन 6 किलोग्राम हो गया। अब बच्ची पूरी तरह ठीक है।
अन्य बच्चों की उपचार: पलारी विकासखंड अंतर्गत ग्राम चरौदा की 2 साल की गंभीर कुपोषित बच्ची का वजन मात्र 4 किलो 400 ग्राम था। उसे भी अस्पताल में भर्ती कर पोषण आहार दिया जा रहा है। बच्ची की मां सरिता ध्रुव के अनुसार अस्पताल में उनको बेहतर उपचार और पोषण आहार समय पर मिल रहा है।
पोषण पुनर्वास केंद्रों का संचालन: बलौदाबाजार में जिला अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कसडोल और पलारी में पोषण पुनर्वास केंद्र संचालित किए जा रहे हैं।
पोषण पुनर्वास केंद्रों की सुविधाएं: पोषण पुनर्वास केंद्र एक सुविधा आधारित इकाई है जहां 5 वर्ष से कम और गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों को पोषण सुविधा प्रदान की जाती है। साथ ही बच्चे के पालकों को जरूरी देखभाल और खान-पान संबंधित कौशल प्रशिक्षण भी दिया जाता है ताकि वह घर पर भी अपने बच्चों को कुपोषण से दूर करने का प्रयास कर सकें।
बच्चों में भर्ती: जनवरी 2024 से अब तक जिला अस्पताल में 94, पलारी में 135 और कसडोल में 141 बच्चे भर्ती किए जा चुके हैं।
कुपोषण के प्रकार: चिकित्सकों के अनुसार बच्चों में कुपोषण मुख्यतः दो प्रकार का पाया जाता है। पहला सूखा रोग जिसमें शरीर की मांसपेशियां बहुत कमजोर हो जाती हैं और वजन में कमी आ जाती है। दूसरा प्रकार क्वाशियोरकर है जिसकी शुरुआत अपर्याप्त और असंतुलित भोजन से होती है।
पोषण पुनर्वास केंद्रों में भर्ती के लिए मापदंड: कुपोषित बच्चों की पहचान मुख्यतः आंगनबाड़ी केंद्रों में की जाती है। इसके अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्रों में भी इसके लिए व्यवस्था की गई है। पोषण पुनर्वास केंद्रों में भर्ती के लिए कुछ मापदंड निश्चित किए गए हैं।
सहायता: पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती होने की दशा में बच्चे के साथ अटेंडर के रूप में आए उसके एक परिजन को भी भोजन और 15 दिन तक 150 रुपये प्रतिदिन के आधार पर सहायता राशि दी जाती है।
कलेक्टर के निर्देश: कलेक्टर दीपक सोनी ने महिला बाल विकास और स्वास्थ्य विभाग को गंभीर कुपोषित बच्चों की त्वरित पहचान कर उन्हें इन केंद्रों में सतत रूप से भेजने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने पालकों से भी अपील की है कि अपने कुपोषित बच्चों को शासन की इस सुविधा का लाभ लेकर कुपोषण मुक्त करें ताकि बच्चे का शारीरिक और मानसिक विकास हो सके।