बस्तर दशहरा: पर्यावरण संरक्षण के साथ सांस्कृतिक विरासत का संगम!
बस्तर दशहरा: पर्यावरण संरक्षण के साथ सांस्कृतिक विरासत का संगम!

जगदलपुर में बस्तर दशहरा समिति की बैठक में बस्तर दशहरा पर्व को उत्साहपूर्वक मनाने और सभी व्यवस्थाओं को बेहतर ढंग से सुनिश्चित करने का निर्णय लिया गया।

पर्यावरण संरक्षण की अनूठी पहल

बैठक के बाद, दशहरा रथ के निर्माण के लिए काटे गए पेड़ों की भरपाई के लिए एक विशेष पहल शुरू की गई। माचकोट रेंज के नकटी सेमरा वन क्षेत्र में कुल 251 पौधे लगाए गए, जिनमें से प्रत्येक पौधा एक पेड़ बस्तर के देवी देवताओं के नाम थीम के तहत बस्तर के देवताओं को समर्पित है। यह अनूठी थीम क्षेत्र के गहरे सांस्कृतिक और धार्मिक संबंध को दर्शाती है।

सांस्कृतिक विरासत और पर्यावरण संरक्षण का संगम

यह अभियान बस्तर के दशहरा उत्सव की समृद्ध परंपराओं का सम्मान करते हुए पर्यावरण के संरक्षण के प्रति समुदाय की प्रतिबद्धता को परिलक्षित करता है। यह पहल पेड़ों को स्थानीय देवताओं के साथ जोड़कर पर्यावरण संरक्षण के साथ सांस्कृतिक विरासत के एकीकरण को भी दर्शाता है।

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बस्तर दशहरा समिति के सदस्य उपस्थित रहे

इस अवसर पर सांसद एवं बस्तर दशहरा समिति के अध्यक्ष महेश कश्यप, विधायक चित्रकोट विनायक गोयल, जिला पंचायत अध्यक्ष वेदवती कश्यप, महापौर सफीरा साहू, जिला पंचायत उपाध्यक्ष मणिराम कश्यप, जनपद पंचायत अध्यक्ष टी मरकाम, माटी पुजारी बस्तर राजपरिवार के कमलचंद भंजदेव, कलेक्टर विजय दयाराम के., पुलिस अधीक्षक शलभ सिन्हा, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी प्रकाश सर्वे, आयुक्त नगर पालिक निगम हरेश मंडावी, तहसीलदार एवं बस्तर दशहरा समिति के सचिव रुपेश मरकाम सहित मांझी, चालकी, मेम्बर, मेम्बरिन, पुजारी और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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