भूतेश्वर नाथ मंदिर, गरियाबंद
भूतेश्वर नाथ मंदिर, गरियाबंद

Bhuteshwar Nath Mandir – भूतेश्वर नाथ मंदिर

छत्तीसगढ़ की राजधानी से महज 90 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है गरियाबंद जिला। जिला मुख्यालय से तीन किलोमीटर की दूरी पर बसे ग्राम मरौदा के जंगलों में प्राकृतिक शिवलिंग ‘भूतेश्वर महादेवÓ स्थित है। पूरे विश्व में इसकी ख्याति हर वर्ष बढऩे वाली इसकी ऊंचाई के कारण है। सुरम्य वनों एवं पहाडियों से घिरे अंचल में प्रकृति प्रदत्त विश्व का सबसे विशाल शिवलिंग विराजमान है।

एक ओर जहां महाकाल और अन्य शिवलिंग के आकार के छोटे होते जाने की खबर आती है वहीं एक शिवलिंग ऐसा भी है जिसका आकार घटता नहीं बल्कि हर साल और बढ़ जाता है। यह शिवलिंग प्राकृतिक रूप से निर्मित है।

हर साल राजस्व विभाग इसकी ऊंचाई मापता है। अर्धनारीश्वर इस शिवलिंग को ‘भकुर्रा महादेवÓ भी कहा जाता है। भूतेश्वर महादेव की ऊंचाई का विवरण 1959 में प्रकाशित पत्रिका ‘कल्याणÓ के तीर्थाक में पृष्ठ संख्या 408 पर है। उसमें इसकी ऊंचाई 35 फीट और व्यास 150 फीट उल्लिखित है। इसमें इसे विश्व का एक अनोखा महान एवं विशाल शिवलिंग बताया गया है।

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वहीं 1978 में इसकी ऊंचाई 40 फीट बताई गई। 1987 में 55 फीट और 1994 में फिर से थेडोलाइट मशीन से नापने पर 62 फीट और उसका व्यास 290 फीट मिला। वहीं वर्तमान में इस शिवलिंग की ऊंचाई 80 फीट के आसपास बताई जा रही है।

भूतेश्वर महादेव के स्थानीय पंडितों और मंदिर समिति के सदस्यों का कहना है कि हर साल महाशिवरात्रि के दिन इसकी ऊंचाई और मोटाई मापी जाती है। सदस्यों का कहना है कि हर साल यह शिवलिंग एक इंच से पौन इंच तक बढ़ जाती है।

भकुर्रा महादेव के संबंध में कहा जाता है कि कभी यहां हाथी पर बैठकर जमींदार अभिषेक किया करते थे। भूतेश्वर महादेव के सदस्यों का कहना है कि हर वर्ष सावन मास में दूर-दराज से कांवडिय़े भूतेश्वर महादेव की पूजा-अर्चना करने आते हैं। उन्होंने बताया कि हर साल महाशिवरात्रि पर भूतेश्वर महादेव की ऊंचाई नापी जाती है। संभवत: यह विश्व का पहला ऐसा शिवलिंग है, जिसकी ऊंचाई हर साल बढ़ती है। 17 गांवों की समिति मिलकर यहां सेवा कार्यो का संचालन करती है।

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भूतेश्वर महादेव सेवा समिति के सदस्य बताते हैं कि पहले भूतेश्वर महादेव को तिलक लगाने के लिए सीढ़ी पर मात्र चार-पांच पायदान चढऩा पड़ता था, लेकिन इस समय इसमें 18-20 पायदान तक चढऩा पड़ता है।

महाशिवरात्रि

हर साल महाशिवरात्रि और सावन सोमवार को लंबी पैदल यात्रा करके कांवरिए यहां पहुंचते हैं। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में स्थित इस शिवलिंग को यहां भूतेश्वरनाथ के नाम से पुकारा जाता है। जिसे भकुर्रा भी कहा जाता है द्वादश ज्योतिर्लिंगों की भांति छत्तीसगढ़ में इसे अर्धनारीश्वर शिवलिंग होने की मान्यता प्राप्त है।सबसे आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि इस शिवलिंग का आकार लगातार हर साल बढ़ रहा है।

संभवतः इसीलिए यहां पर हर साल आने पैदल आने वाले भक्तों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। छत्तीसगढ़ी भाषा में हुकारने की आवाज को भकुर्रा कहते हैं, इसी से छत्तीसगढ़ी में इनका नाम भकुर्रा पड़ा है।

कैसे पहुंचें:

बाय एयर

स्वामी विवेकानन्द अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा रायपुर से 89.1 किमी.

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ट्रेन द्वारा

रायपुर रेल्वे स्टेशन से 103 किमी.

सड़क के द्वारा

पंडरी बस स्टैंड रायपुर से 100 किमी.

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