बिलासपुर के एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के साथ हुई हालिया ऑनलाइन धोखाधड़ी ने एक बार फिर साइबर अपराध की बढ़ती चुनौतियों को उजागर किया है। रोजगार कार्यालय के डिप्टी डायरेक्टर को अपना शिकार बनाकर, शातिर ठगों ने 6 लाख 42 हजार रुपये की मोटी रकम हड़प ली, जो इस बात का प्रमाण है कि कोई भी साइबर अपराध का लक्ष्य बन सकता है।
घटनाक्रम की कहानी: 10 मई को एक अनजान कॉल ने विष्णु प्रसाद केडिया के जीवन में हलचल मचा दी। कॉल करने वाले ने खुद को एसबीआई बैंक का अधिकारी बताया और केवाईसी अपडेट करने का झांसा दिया। अनजान में फंसते हुए, केडिया जी धीरे-धीरे ठगों के जाल में फंसते चले गए।
धोखेबाजी का तरीका: ठगों ने बड़ी चतुराई से अपना खेल खेला। उन्होंने केडिया जी से छोटी-छोटी किश्तों में पैसे ट्रांसफर करवाए, जिससे संदेह न हो। हर बार नए-नए बहाने बनाकर, वे अधिकारी को भरोसे में लेते रहे। यह सिलसिला तब तक चला, जब तक कि केडिया जी के खाते से लाखों रुपये गायब नहीं हो गए।
सच्चाई का एहसास: जब ठगों की मांग बढ़ती गई, तब जाकर केडिया जी को कुछ गड़बड़ होने का शक हुआ। उन्होंने जब अपने खाते की जांच की, तो पाया कि 6 लाख 42 हजार रुपये गायब हो चुके थे। यह एहसास उनके लिए बिजली गिरने जैसा था।
कानूनी कार्रवाई: इस घटना की रिपोर्ट सरकंडा थाना में दर्ज कराई गई। पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए धारा 420 और 66 घ के तहत मामला दर्ज किया है। जांच अधिकारी इस मामले को गंभीरता से ले रहे हैं और ठगों का पता लगाने में जुटे हैं।
सीख और सावधानियां: इस घटना से यह सीख मिलती है कि हमें ऑनलाइन लेनदेन के मामले में अत्यंत सतर्क रहना चाहिए। कोई भी फोन कॉल या संदेश जो आपके बैंक खाते से संबंधित जानकारी मांगता है, उस पर तुरंत शक करें। बैंक कभी भी फोन पर ऐसी संवेदनशील जानकारी नहीं मांगता।
आगे की राह:
यह घटना हमें याद दिलाती है कि डिजिटल सुरक्षा पर और अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। सरकार और बैंकों को मिलकर लोगों को साइबर सुरक्षा के बारे में जागरूक करना होगा। साथ ही, कानून प्रवर्तन एजेंसियों को ऐसे अपराधों से निपटने के लिए और अधिक तकनीकी रूप से सक्षम बनना होगा।
इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि साइबर अपराधी किसी भी व्यक्ति को निशाना बना सकते हैं, चाहे वह कितना भी शिक्षित या उच्च पद पर क्यों न हो। सतर्कता ही हमारी सबसे बड़ी सुरक्षा है।