बिलासपुर: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सारंगढ़ जिले के ग्राम पंचायत सिंघानपुर में वन भूमि पर कराए जा रहे गैर वानिकी निर्माण कार्य पर रोक लगा दी है और यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने केंद्र और राज्य शासन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
क्या है मामला?
सारंगढ़ जिले के ग्राम पंचायत सिंघानपुर में सरपंच के माध्यम से वन भूमि पर राज्य शासन की ओर से सार्वजनिक उपयोग के लिए निर्माण कार्य कराया जा रहा था। यह भूमि अभिलेख में छोटे झाड़ के जंगल के रूप में दर्ज है। गांव की निवासी जानकी निराला ने इस निर्माण के विरुद्ध तहसीलदार के समक्ष शिकायत की थी। तहसीलदार ने मौका जांच कराने के बाद पाया कि निर्माण कार्य वन भूमि पर किया जा रहा है। लेकिन, तहसीलदार और अनुविभागीय अधिकारी राजस्व ने निर्माण कार्य रोकने के लिए प्रस्तुत आवेदन खारिज कर दिया।
हाईकोर्ट का फैसला:
जानकी निराला ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें बताया गया कि वन संरक्षण अधिनियम 1980 के अनुसार केवल केंद्रीय सरकार की अनुमति से ही वन भूमि पर गैर वानिकी निर्माण कार्य किया जा सकता है। वन भूमि का गैर वानिकी परिवर्तन दंडनीय अपराध है। हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए केंद्र और राज्य शासन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है और निर्माण कार्य पर रोक लगाते हुए सभी पक्षों को यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है।
यह फैसला वन भूमि संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम:
यह फैसला वन भूमि संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। यह सुनिश्चित करेगा कि वन भूमि का उपयोग केवल वानिकी कार्यों के लिए किया जाए और किसी भी गैरकानूनी निर्माण को रोका जाए।