छत्तीसगढ़ में स्तन कैंसर की स्थिति दिन-प्रतिदिन भयावह होती जा रही है। पिछले एक दशक में इस घातक बीमारी ने 15,325 महिलाओं की जान ले ली है, जो कि एक चौंकाने वाला आंकड़ा है। यह तथ्य न केवल राज्य के स्वास्थ्य विभाग के लिए चिंता का विषय है, बल्कि समाज के हर वर्ग को सोचने पर मजबूर कर रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस बढ़ोतरी के पीछे कई कारण हैं। बदलती जीवनशैली, तनावपूर्ण जीवन, और पारिवारिक इतिहास प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं। साथ ही, देर से गर्भधारण, हार्मोनल असंतुलन, और नशीले पदार्थों का सेवन भी इस बीमारी को बढ़ावा दे रहे हैं।
राज्य सरकार इस गंभीर स्थिति से निपटने के लिए कमर कस चुकी है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने घोषणा की है कि वे मिशन मोड पर काम करेंगे। राज्य भर में स्क्रीनिंग केंद्र स्थापित किए जाएंगे, जहाँ महिलाओं की नियमित जाँच की जाएगी। इससे न केवल शुरुआती चरण में बीमारी का पता लगाया जा सकेगा, बल्कि समय पर उपचार भी संभव हो पाएगा।
ICMR (भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद) के आंकड़े बताते हैं कि पिछले 10 वर्षों में स्तन कैंसर से होने वाली मौतों में 26.43% की वृद्धि हुई है। यह आंकड़ा 2013 में 1,358 से बढ़कर 2022 में 1,717 तक पहुंच गया है। यह स्थिति न केवल छत्तीसगढ़, बल्कि पूरे देश के लिए एक बड़ी चुनौती है।
स्तन कैंसर के बारे में जागरूकता फैलाना अत्यंत महत्वपूर्ण है। महिलाओं को नियमित रूप से स्वयं की जाँच करनी चाहिए और किसी भी असामान्य बदलाव पर तुरंत चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए। साथ ही, स्वस्थ जीवनशैली अपनाना, नियमित व्यायाम करना, और संतुलित आहार लेना भी बहुत जरूरी है।
सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों के साथ-साथ, समाज के हर व्यक्ति को इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करना होगा। स्कूलों और कॉलेजों में स्वास्थ्य शिक्षा को बढ़ावा देना, ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता अभियान चलाना, और सामुदायिक स्तर पर स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन करना कुछ ऐसे उपाय हैं जो इस स्थिति से निपटने में मदद कर सकते हैं।
अंत में, यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि स्तन कैंसर एक गंभीर बीमारी है, लेकिन इसका समय पर निदान और उपचार संभव है। सामूहिक प्रयासों से ही हम इस चुनौती का सामना कर सकते हैं और छत्तीसगढ़ की महिलाओं को एक स्वस्थ और सुरक्षित भविष्य दे सकते हैं।