छठ पूजा में राजीव लोचन दास महाराज का विवादित बयान: 'हिंदुओं, 4 बच्चे पैदा करो!'
छठ पूजा में राजीव लोचन दास महाराज का विवादित बयान: 'हिंदुओं, 4 बच्चे पैदा करो!'

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में छठ पूजा का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है। महादेव घाट में छठ पूजा के आयोजन में शामिल होने के लिए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के साथ चित्रकुट धाम के महंत राजीव लोचन दास महाराज भी पहुँचे। इस दौरान महाराज ने एक ऐसा बयान दिया जिसने लोगों को हैरान कर दिया।

महाराज ने हिंदुओं को चार बच्चे पैदा करने की सलाह देते हुए कहा, “दुश्मन ईंट-पत्थर लेकर खड़े हैं। सनातन धर्म में पैदा हुए बच्चों की रक्षा करने की जिम्मेदारी छठी माई की होती है।”

उन्होंने छठी माई के बारे में बताते हुए कहा, “भगवान सूर्य की बहन है छठी माई। महादेव की पुत्रवधु का नाम है छठी माई। भगवान शंकर और पार्वती के बड़े बेटे भगवान कार्तिकेय की धर्मपत्नी का नाम है छठी माई।”

राजीव लोचन दास महाराज ने आगे कहा, “तुम्हारे दुश्मन हम 5, हमारे पचहत्तर, सबके हाथ में ईंट-पत्थर लेकर खड़े हैं। तुम सफाचट हो जाओगे। समय रहते अपने वेद, पुराण, शास्त्र, संतों की वाणी को गुरुमंत्र के रूप में स्वीकार करो। एक-दो नहीं 4 तो पैदा करो। सनातन धर्म में जो पैदा होता है, उसकी रक्षा करने की जिम्मेदारी छठी माई की होती है।”

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महाराज के इस बयान ने एक बार फिर से जनसंख्या नियंत्रण और धार्मिक भावनाओं को लेकर बहस छेड़ दी है। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस बयान पर आगे क्या प्रतिक्रियाएं आती हैं।

चार दिनों तक चलने वाले छठ पर्व के तीसरे दिन गुरुवार को व्रती महिलाओं ने डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया। छत्तीसगढ़ के रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, सरगुजा, राजनांदगांव समेत कई जिलों में छठ घाटों पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा। अब शुक्रवार की सुबह उगते सूर्य की पूजा और प्रसाद खाकर छठ व्रती 36 घंटे का उपवास पूरा करेंगी।

छठ पूजा एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो सूर्य देवता और छठी माई की पूजा के साथ जुड़ा है। यह त्योहार परिवार, समृद्धि और खुशहाली की कामना करता है। छठ पूजा के दौरान लोग सूर्य देवता से अपने जीवन में सफलता और समृद्धि की कामना करते हैं।

इस बयान को लेकर सोशल मीडिया पर भी कई प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। कुछ लोग महाराज के बयान का समर्थन करते हुए इसे हिंदू धर्म के संरक्षण के लिए जरूरी बता रहे हैं। वहीं, कुछ लोग इसे विवादित और गैर-ज़िम्मेदाराना बता रहे हैं।

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यह देखना बाकी है कि इस विवादित बयान का हिंदू समुदाय पर क्या प्रभाव पड़ता है और यह जनसंख्या नियंत्रण के मुद्दे पर राजनीतिक बहस को कैसे प्रभावित करता है।