छत्तीसगढ़ भाड़ा नियंत्रण अधिकरण में कर्मचारियों का आरोप: अध्यक्ष-रजिस्ट्रार कर रहे हैं प्रताड़ना!
छत्तीसगढ़ भाड़ा नियंत्रण अधिकरण में कर्मचारियों का आरोप: अध्यक्ष-रजिस्ट्रार कर रहे हैं प्रताड़ना!

छत्तीसगढ़ भाड़ा नियंत्रण अधिकरण के कर्मचारियों ने अपनी आवाज उठाई है! वे अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। कर्मचारियों का आरोप है कि अधिकरण के अध्यक्ष और रजिस्ट्रार उनका शोषण कर रहे हैं, उनकी जायज मांगों को अनसुना कर रहे हैं और उन्हें प्रताड़ित कर रहे हैं।

कर्मचारियों ने अपने मूल विभाग, आवास एवं पर्यावरण के सचिव को एक पत्र लिखकर अपनी दुर्दशा बताई है। पत्र में, उन्होंने अध्यक्ष और रजिस्ट्रार पर नियमों की अवहेलना करने, उनके वेतन में देरी करने और संविदा नियुक्तियों में भेदभाव का आरोप लगाया है।

कर्मचारियों की पीड़ा: नियमों की अवहेलना और प्रताड़ना

कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें समय पर वेतन नहीं मिलता है। वेतन भुगतान में जानबूझकर देरी की जाती है। इस अनियमित वेतन भुगतान से उनके जीवन में कई तरह की समस्याएं आ रही हैं। वे समय पर अपने बिल नहीं चुका पा रहे हैं, बच्चों की फीस नहीं दे पा रहे हैं, और उनकी जीवन शैली पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।

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इस मुद्दे को लेकर, कर्मचारियों ने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में रिट याचिका भी दायर की है। लेकिन, शासन द्वारा जवाब प्रस्तुत नहीं करने के कारण यह याचिका आज तक लंबित है। कर्मचारियों का आरोप है कि अध्यक्ष और रजिस्ट्रार जानबूझकर उनकी शिकायतों को अनदेखा कर रहे हैं।

संविदा नियुक्तियों में भेदभाव: नियमों की धज्जियाँ

कर्मचारियों का आरोप है कि अध्यक्ष और रजिस्ट्रार नियमों का उल्लंघन करके अपने परिचितों और करीबियों को संविदा नियुक्तियों पर रख रहे हैं। वे वाहनों के चालक और भृत्य पदों पर भी संविदा नियुक्तियां कर रहे हैं, जबकि इन पदों के लिए सीधी भर्ती का प्रावधान है। इससे नियमित कर्मचारियों को नुकसान हो रहा है।

यह एक गंभीर मामला है। यह एक ऐसा मामला है जहां अध्यक्ष और रजिस्ट्रार अपनी शक्तियों का दुरुपयोग कर रहे हैं। यह एक ऐसा मामला है जहां कर्मचारियों को अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। इस मामले में, आवास एवं पर्यावरण के सचिव को कर्मचारियों की पीड़ा को समझना होगा और उनके लिए न्याय सुनिश्चित करना होगा।

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