छत्तीसगढ़ की धरती पर एक बार फिर हरियाली का त्योहार छाया हुआ है। हरेली पर्व के अवसर पर पूरा राज्य उत्सव के रंग में रंग गया है। इस पावन अवसर पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने प्रदेशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं दी हैं।
मुख्यमंत्री निवास आज एक ग्रामीण मड़ई मेले की तरह सज गया है। यहाँ की सुंदर साज-सज्जा देखते ही बनती है। परिसर में रहचुली झूला, गेड़ी और आकर्षक बैलगाड़ियाँ सजाई गई हैं, जो हरेली की रौनक को और भी बढ़ा रही हैं। इस मनमोहक दृश्य को देखकर हर किसी के मन में गाँव की याद ताजा हो जाती है।
हरेली के इस खास मौके पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय परंपरागत तरीके से पूजा-अर्चना करेंगे। इस दिन पशुधन की पूजा का विशेष महत्व है। यह त्योहार खेती-किसानी की शुरुआत का प्रतीक है और धरती माँ के प्रति हमारी कृतज्ञता को दर्शाता है। इसी भावना के अनुरूप, मुख्यमंत्री पूजा के उपरांत किसान भाइयों को आधुनिक कृषि उपकरणों का वितरण भी करेंगे।
छत्तीसगढ़ की संस्कृति और परंपराएँ समय के साथ भी अटूट रही हैं। आज के आधुनिक युग में जहाँ हवाई झूले आम हो गए हैं, वहीं रहचुली झूला अभी भी लोगों के दिलों में बसा हुआ है। यह झूला छत्तीसगढ़वासियों को उनके ग्रामीण जड़ों और पुरखों से जोड़े रखता है। हरेली के इस पावन अवसर पर लोग रहचुली झूले पर चढ़कर अपने बचपन की यादों में खो जाते हैं।
इसी तरह, गेड़ी भी छत्तीसगढ़ की एक अनमोल विरासत है। जब मानसून के दिनों में ग्रामीण सड़कें कीचड़ में तब्दील हो जाती थीं, तब गेड़ी ही एकमात्र सुरक्षित साधन होता था। हरेली के मौके पर गेड़ी पर चढ़कर लोग सावन मास के उत्साह को प्रदर्शित करते थे।
इस वर्ष के हरेली उत्सव में मुख्यमंत्री निवास में आयोजित मेले में अतिथिगण इन परंपरागत खेलों और साधनों का आनंद लेंगे। यह आयोजन न केवल छत्तीसगढ़ की समृद्ध संस्कृति को दर्शाता है, बल्कि नई पीढ़ी को भी अपनी जड़ों से जोड़े रखने का एक प्रयास है।
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हरेली पर्व छत्तीसगढ़ की कृषि संस्कृति का प्रतीक है। यह त्योहार किसानों के लिए नए कृषि वर्ष की शुरुआत का प्रतीक है और उनके कठोर परिश्रम का सम्मान करता है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय द्वारा किसानों को आधुनिक कृषि उपकरणों का वितरण इस बात का संकेत है कि राज्य सरकार किसानों के कल्याण और कृषि क्षेत्र के विकास के लिए प्रतिबद्ध है।
इस प्रकार, हरेली उत्सव छत्तीसगढ़ की संस्कृति, परंपराओं और आधुनिकता के समन्वय का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। यह त्योहार न केवल लोगों को खुशियाँ देता है, बल्कि उन्हें अपनी जड़ों और धरोहर से जोड़े रखता है।