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छत्तीसगढ़ में कोयला और कस्टम मीलिंग घोटाले ने एक बार फिर राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी है। इस मामले में गिरफ्तार आरोपियों से जुड़ा एक बड़ा अपडेट सामने आया है, जिसने मामले को और अधिक जटिल बना दिया है।

ईडी की रेड ने खोला पोल

कथित 500 करोड़ रुपये के कोयला घोटाले का मामला ईडी की रेड के बाद सामने आया था। ईडी को छानबीन में पता चला कि कोयला परिवहन के दौरान कोयला व्यापारियों से वसूली की जा रही थी। ऑनलाइन मिलने वाले परमिट को ऑफलाइन कर दिया गया था, और खनिज विभाग के तत्कालीन संचालक आईएएस समीर बिश्नोई ने इसके लिए 15 जुलाई 2020 को आदेश जारी किया था।

वसूली के लिए सिंडिकेट बना

आरोप है कि वसूली के लिए एक सिंडिकेट बनाया गया था, और सूर्यकांत तिवारी को पूरे मामले का मास्टरमाइंड माना गया था।

नार्को टेस्ट का आवेदन खारिज

इस मामले में ACB/EOW की विशेष कोर्ट ने सूर्यकांत तिवारी, रजनीकांत तिवारी, निखिल चंद्राकर और कस्टम मीलिंग के आरोपी रोशन चंद्राकर का नार्को टेस्ट कराने के लिए EOW द्वारा लगाए गए आवेदन को खारिज कर दिया है।

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EOW ने नार्को, पॉलीग्राफ और ब्रेन मैपिंग टेस्ट करवाने की अनुमति के लिए कोर्ट में आवेदन लगाया था। लेकिन बचाव पक्ष ने इस पर आपत्ति दर्ज कराई। दोनों पक्षों के तर्क सुनने के बाद कोर्ट ने EOW के आवेदन को खारिज कर दिया।

कानूनी लड़ाई जारी

इस घटनाक्रम से साफ है कि छत्तीसगढ़ कोयला घोटाला मामला अब भी कोर्ट में है और इसकी सुनवाई जारी है। देखना होगा कि आगे इस मामले में क्या होता है और आरोपियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाती है।