बिलासपुर से एक बड़ी खबर आ रही है जहां छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने अनुकंपा नियुक्ति को लेकर एक अहम फैसला सुनाया है। इस फैसले में न्यायमूर्ति संजय के अग्रवाल ने कहा कि मृतक सरकारी कर्मचारी के नाजायज पुत्र को भी अनुकंपा नियुक्ति के लिए विचार किया जाना चाहिए।
यह मामला विक्रांत कुमार लाल का है, जो मृतक सरकारी कर्मचारी का नाजायज पुत्र है। विक्रांत ने अपनी मां विमला कुर्रे के साथ एसईसीएल (एसईसीएल) में अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया था। लेकिन, एसईसीएल ने उनके आवेदन को खारिज कर दिया।
इसके बाद विक्रांत ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की। कोर्ट ने एसईसीएल प्रबंधन को नोटिस जारी करते हुए कहा कि उन्हें आदेश की प्रति प्राप्त होने की तारीख से 45 दिनों के भीतर विक्रांत को अनुकंपा नियुक्ति देने की प्रक्रिया पूरी करनी होगी।
यह फैसला न केवल विक्रांत के लिए एक बड़ी जीत है, बल्कि यह उन सभी लोगों के लिए एक उम्मीद की किरण है जो इसी तरह की परिस्थितियों में फंसे हुए हैं। यह फैसला साफ करता है कि नाजायज पुत्र को भी अनुकंपा नियुक्ति का हक है और उनके आवेदन को बिना किसी भेदभाव के विचार किया जाना चाहिए।
यह फैसला अनुकंपा नियुक्ति के नियमों की व्याख्या को लेकर एक महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है। अब तक, नाजायज बच्चों को अनुकंपा नियुक्ति से वंचित किया जाता रहा है। यह फैसला सामाजिक न्याय और समानता के सिद्धांतों को मजबूत करता है।