तृतीय श्रेणी कर्मचारी को बनाया रजिस्ट्रार, नियमों का उल्लंघन?
रायपुर। छत्तीसगढ़ स्टेट फार्मेसी काउंसिल के रजिस्ट्रार का चयन एक बार फिर विवादों में घिर गया है। पिछले कुछ वर्षों में कंपाउंडर देव राम साहू और अब अश्वनी गुर्देकर को रजिस्ट्रार बनाया जाना विवादों का केंद्र बना है।
चयन प्रक्रिया पर उठे सवाल
इंडियन फार्मासिस्ट एसोसिएशन (IPA) का आरोप है कि अश्वनी गुर्देकर को रजिस्ट्रार बनाकर नियमों को ताक पर रख दिया गया है। उनका कहना है कि रजिस्ट्रार का पद द्वितीय श्रेणी का है, लेकिन अश्वनी गुर्देकर जो कि डॉ. भीमराव अंबेडकर स्मृति चिकित्सालय में स्टोर कीपर के पद पर कार्यरत हैं, वह तृतीय श्रेणी के कर्मचारी हैं।
इसके अलावा, IPA ने यह भी आरोप लगाया है कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग को गुमराह कर के केवल अस्पतालों में कार्यरत फार्मासिस्टों की सूची भेजी गई, जबकि अन्य विभागों के फार्मासिस्टों को शामिल नहीं किया गया। यह कदम मध्यप्रदेश फार्मेसी नियमों के विपरीत है।
शैक्षणिक योग्यता पर सवाल
IPA का आरोप है कि अश्वनी गुर्देकर ने अपने आवेदन में बी फार्म प्रैक्टिस कोर्स करने का दावा किया है, लेकिन वह अभी तक उस कोर्स का मार्क शीट प्रस्तुत नहीं कर पाए हैं। इसके अलावा, उन्होंने अपने आवेदन में विभाग को गुमराह करने के लिए टीआर शीट को प्रस्तुत किया है।
फार्मेसी कौंसिल ऑफ इंडिया के मानदंडों के अनुसार, रजिस्ट्रार के पद के लिए डिप्लोमा इन फार्मेसी न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता है। लेकिन अश्वनी गुर्देकर बी फार्म डिग्री धारक हैं।
स्वास्थ्य मंत्री ने की जांच का आश्वासन
इस मामले पर स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने कहा कि मामले की जांच की जाएगी और यदि शिकायत सही पाई गई तो उन्हें पद से हटाया जाएगा। साथ ही, कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी।
इस विवाद में छत्तीसगढ़ स्टेट फार्मेसी काउंसिल के रजिस्ट्रार अश्वनी गुर्देकर ने कहा कि उनकी नियुक्ति नियमानुसार की गई है और उनके पास रजिस्ट्रार पद के लिए आवश्यक योग्यता है।
इस विवाद से यह स्पष्ट है कि छत्तीसगढ़ सरकार को फार्मेसी क्षेत्र में नियुक्तियों और नियमों के कड़ाई से पालन की आवश्यकता है। साथ ही, शैक्षणिक योग्यता और कार्य अनुभव के आधार पर नियुक्तियां होनी चाहिए।