छत्तीसगढ़ पीएससी सिविल जज परीक्षा: नियमों में बदलाव से अभ्यर्थी हाईकोर्ट पहुंचे!
छत्तीसगढ़ पीएससी सिविल जज परीक्षा: नियमों में बदलाव से अभ्यर्थी हाईकोर्ट पहुंचे!

छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (सीजी पीएससी) द्वारा आयोजित सिविल जज मुख्य परीक्षा के नियमों में अचानक बदलाव से 30 से ज़्यादा अभ्यर्थी हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटा रहे हैं! आरोप है कि बिना किसी पूर्व सूचना के नियमों में किए गए इस परिवर्तन के चलते अभ्यर्थियों की उत्तर पुस्तिकाएं जांची ही नहीं गईं।

आइए, इस पूरे मामले को समझते हैं।

क्या हुआ?

सीजी पीएससी ने 3 सितंबर 2023 को 49 सिविल जज पदों के लिए प्रारंभिक परीक्षा आयोजित की थी। इसमें सफल हुए 542 अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा के लिए चुना गया। लगभग एक साल बाद, 25 अगस्त 2024 को मुख्य परीक्षा हुई। लेकिन इस बार, बिना किसी पूर्व सूचना के, पीएससी ने यह नियम लागू कर दिया कि सभी प्रश्नों के उत्तर क्रम में लिखना अनिवार्य होगा।

इससे पहले किसी भी मुख्य परीक्षा में ऐसा कोई नियम नहीं था! अभ्यर्थियों ने कहा कि परीक्षा केंद्रों पर पर्यवेक्षकों ने भी इस बदलाव की जानकारी नहीं दी, और न ही परीक्षा शुरू होने से पहले प्रश्नपत्र वितरण के दौरान नियम पढ़ने का समय दिया गया। इस जल्दबाजी में, कई अभ्यर्थियों ने उत्तर क्रम में लिखने पर ध्यान नहीं दिया।

इसे भी पढ़ें  दीपावली पूर्व धनतेरस की शुभकामनायें देते हुए मुख्यमंत्री का अपील

परिणाम घोषित, अभ्यर्थियों का हौसला टूटा!

जब परिणाम घोषित हुए, तो अभ्यर्थियों का हौसला टूट गया। ज़्यादातर अभ्यर्थियों की उत्तर पुस्तिकाएं जांचे बिना ही उन्हें असफल करार दिया गया था! यह केवल इसलिए हुआ क्योंकि उन्होंने सवालों के जवाब क्रम से नहीं लिखे थे। यह नियमों में अचानक बदलाव अभ्यर्थियों के लिए बेहद दुखदायक है, और उनकी मेहनत पर पानी फेरने जैसा है।

अभ्यर्थियों की हाईकोर्ट याचिका

इस मामले में सात अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। उन्होंने कहा कि पीएससी को पहले भी उनके आवेदन दिए गए थे, लेकिन कोई उत्तर नहीं मिला। इस बीच, 8 अक्टूबर को, पीएससी ने मुख्य परीक्षा के परिणाम घोषित कर दिए, जिसमें बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों को केवल तकनीकी कारणों से बाहर कर दिया गया।

अभ्यर्थियों का कहना है कि इस तरह का अचानक बदलाव उनके साथ अन्याय है। अगर पीएससी ने परीक्षा से पहले अभ्यर्थियों को इस बदलाव की जानकारी दी होती, तो वे अपने आप को बेहतर ढंग से तैयार कर पाते।

इसे भी पढ़ें  कवर्धा: शिक्षक दिवस पर विधायक भावना बोहरा ने शिक्षकों को किया सम्मानित, कहा- शिक्षक हैं भगवान का दिया हुआ अमूल्य उपहार

क्या होगा आगे?

अब देखना दिलचस्प होगा कि हाईकोर्ट इस मामले में क्या फैसला सुनाता है। अभ्यर्थियों की उम्मीद है कि कोर्ट उनकी याचिका पर गंभीरता से विचार करेगा और उन्हें न्याय दिलाएगा।

इस घटना से यह बात एक बार फिर साबित हो गई है कि परीक्षाओं के नियमों में कोई भी परिवर्तन पारदर्शी और समय पर किया जाना चाहिए। अभ्यर्थियों को बिना किसी पूर्व सूचना के नियमों में बदलाव से बचाना चाहिए।