छत्तीसगढ़ में राजस्व अधिकारियों की मुराद पूरी हो गई है! अब बिना विभागीय अनुमति के उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं होगी. यह खबर उन सभी अधिकारियों के लिए राहत भरी है जो अपने काम के दौरान किसी भी तरह की परेशानी का सामना करते थे.
राजस्व विभाग ने कनिष्ठ प्रशासनिक सेवा संघ की लंबे समय से चली आ रही मांग पर आखिरकार कार्रवाई की है. राजस्व विभाग के सचिव अविनाश चम्पावत ने सभी संभागायुक्तों और कलेक्टरों को पत्र जारी किया है, जिसमें न्यायिक अधिकारी संरक्षण अधिनियम, 1850 और न्यायाधीश (संरक्षण) अधिनियम, 1985 के तहत राजस्व अधिकारियों को संरक्षण मिलने की बात कही गई है.
आपको बता दें, कई बार ऐसा देखा गया है कि न्यायालयीन मामलों के निपटारे के बाद असंतुष्ट पक्षकार सीधे पीठासीन अधिकारी के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज करा देते हैं. इस पर पुलिस बिना जांच के ही एफआईआर दर्ज कर नोटिस दे देती है. ऐसे में राजस्व अधिकारियों को न्यायाधीश (संरक्षण) अधिनियम, 1985 के प्रावधानों के अंतर्गत संरक्षण नहीं मिल पा रहा था.
इस नए आदेश से अब राजस्व अधिकारियों को अपने काम में बिना किसी डर के काम करने में आसानी होगी. यह कदम निश्चित रूप से छत्तीसगढ़ के प्रशासनिक तंत्र को मजबूत करेगा और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई को भी बढ़ावा देगा.