छत्तीसगढ़ स्थापना दिवस: महासमुंद में सांस्कृतिक रंगों का जश्न
छत्तीसगढ़ स्थापना दिवस: महासमुंद में सांस्कृतिक रंगों का जश्न

छत्तीसगढ़ के स्थापना दिवस के मौके पर महासमुंद के मिनी स्टेडियम में आयोजित राज्योत्सव में सांस्कृतिक कार्यक्रमों की एक खूबसूरत श्रृंखला ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। शाम से देर रात तक चले इस कार्यक्रम में हर कोई छत्तीसगढ़ की संस्कृति और कला में डूब गया।

इस खास मौके पर मुख्य अतिथि श्री दयालदास बघेल, स्थानीय विधायक योगेश्वर राजू सिन्हा, विधायक बसना सम्पत अग्रवाल सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति और जिला कलेक्टर विनय कुमार लंगेह भी मौजूद थे।

छत्तीसगढ़ की लोक कलाओं का शानदार प्रदर्शन

राज्य की प्रसिद्ध महतारी लोक कला मंच, खरोरा के चन्द्रभूषण वर्मा और उनके साथी कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति के ज़रिए छत्तीसगढ़ की समृद्ध लोक संस्कृति को सजीव रूप से पेश किया। उनके रंगारंग प्रदर्शन ने न केवल लोगों का मनोरंजन किया, बल्कि छत्तीसगढ़ी लोक संगीत और नृत्य की खूबसूरती भी सामने लाई। कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियों के ज़रिए दर्शकों को छत्तीसगढ़ की परंपराओं से रूबरू कराया, जिससे माहौल जोश और उत्साह से भर गया।

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‘पैरी छुनछुन बाजे रे’ और परम्परागत छत्तीसगढ़ी लोक गीतों की भावपूर्ण प्रस्तुति ने छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस के जश्न में चार चांद लगा दिए।

कविताओं ने किए सभी का मन मोह

हँसी-व्यंग्य के जाने-माने कवि पद्मश्री सुरेंद्र दुबे की प्रस्तुति ने समारोह में खास आकर्षण पैदा किया। अपनी चुटीली कविताओं और अनोखे अंदाज में उन्होंने सभी का मन मोह लिया और हँसी के ठहाकों से पंडाल गूंज उठा। दुबे जी ने कहा कि महासमुंद से उनका पुराना नाता है और वे यहां अक्सर आते रहते हैं। उन्होंने अपने व्यंग भरे लहजे में नेताओं और अधिकारियों को भी नहीं बख्शा और समाज की वर्तमान परिस्थिति को बखूबी अंदाज में प्रस्तुत किया।

उनके साथ मंच पर राज्य के कई प्रसिद्ध कवियों ने भी अपनी कविताओं से समां बांधा। कोरबा की किरण सोनी, मुंगेली से देवेन्द्र प्रसाद वीर रस में अपनी प्रस्तुति दी, वहीं कवर्धा के अभिषेक पांडेय ने भी अपनी कविताओं से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इन कवियों की भावपूर्ण प्रस्तुतियों ने श्रोताओं को न केवल मनोरंजन प्रदान किया बल्कि देशभक्ति और संस्कृति का गहरा संदेश भी दिया।

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संगीत के सरिता में डूबे सभी

समारोह के अंत में अलंकार बैंड पार्टी बिलासपुर के युवा कलाकारों की संगीतमयी प्रस्तुति ने कार्यक्रम को संगीत से सराबोर कर दिया। उनके संगीत की धुनों पर देर शाम तक दर्शक झूमते रहे और कार्यक्रम में उत्साह का संचार होता रहा। बैंड पार्टी के कलाकारों ने छत्तीसगढ़ी संगीत को आधुनिक स्पर्श देकर दर्शकों के दिलों दिमाग में एक यादगार छाप छोड़ दी।

छोटे-छोटे कलाकारों ने मोही सबका मन

कार्यक्रम में विभिन्न विद्यालयों और महाविद्यालयों के छात्रों ने भी अपनी कला और संस्कृति का प्रदर्शन किया। उनके द्वारा प्रस्तुत किए गए नृत्य, संगीत और गायन ने दर्शकों का दिल जीत लिया। आदिवासी छात्रावास के विद्यार्थियों ने अपनी सांस्कृतिक नृत्य प्रस्तुति से छत्तीसगढ़ की आदिवासी परंपरा और उनकी धरोहर को दर्शाया। वहीं, फॉर्चून नेत्रहीन फाउंडेशन के बच्चों ने अपनी गायन प्रस्तुति से सभी का मन मोह लिया। उनकी संगीतमयी प्रस्तुति ने दर्शकों को भावविभोर कर दिया और साबित कर दिया कि कला और प्रतिभा किसी सीमा की मोहताज नहीं होती।

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विशेष पिछड़ी जनजाति कमार जाति के बच्चों ने अपनी पारंपरिक संस्कृति का प्रदर्शन करते हुए तंबोरा नृत्य प्रस्तुत किया। जिसमें उन्होंने अपनी सांस्कृतिक धरोहर को खूबसूरती से प्रदर्शित किया।

नृत्य कला ने मोह लिया सभी को

इसके साथ ही कु. राधिक साहू ने भरतनाट्यम की सुंदर और मनमोहक प्रस्तुति देकर दर्शकों का मन मोह लिया। अपनी भावभंगिमा से दर्शकों के दिल में एक अलग छाप छोड़ी। इसी तरह कु. आस्था पटनायक ने अपने कत्थक नृत्य से मंच पर एक अलग ही छटा बिखेरी। उनके नृत्य के मनमोहक अंदाज और पारंपरिक कत्थक शैली ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनके नृत्य प्रदर्शन ने भारतीय शास्त्रीय नृत्य की गरिमा और सौंदर्य को प्रस्तुत किया, जिसे दर्शकों ने खूब सराहा। कार्यक्रम के पश्चात कलाकारों को स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया।