रायपुर। छत्तीसगढ़ के समृद्ध जैवविविधता को और गहराई से समझने और उसके संरक्षण में योगदान देने के लिए 30 दिवसीय पैराटैक्सोनॉमी एवं जैवविविधता संरक्षण कोर्स का समापन 17 अगस्त को हुआ। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के मंशानुरूप वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री केदार कश्यप के दिशा-निर्देशन में छत्तीसगढ़ राज्य जैवविविधता बोर्ड और राज्य वन अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान द्वारा बॉटनिकल सर्वे ऑफ इंडिया (BSI) कोलकाता के सहयोग से आयोजित किया गया था।
दुर्लभ प्रजातियों की पहचान और औषधीय उपयोग पर ज़ोर
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में कांकेर, कोंडागांव, केशकाल, पूर्व भानुप्रतापपुर, पश्चिम भानुप्रतापपुर और नारायणपुर वनमंडलों के अंतर्गत गठित जैव विविधता प्रबंधन समितियों (BMC) से जुड़े 40 स्नातक/12वीं पास छात्र-छात्राओं और BSI से आए 13 प्रशिक्षुओं ने भाग लिया। BSI के विशेषज्ञों ने प्रशिक्षुओं को अपने क्षेत्र में पायी जाने वाली जीव-जंतु और वनस्पति प्रजातियों की पहचान, उनके औषधीय उपयोग और आर्थिक महत्व के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
जंगल सफारी और स्थल भ्रमण से मिला व्यावहारिक ज्ञान
प्रशिक्षण के दौरान छात्र-छात्राओं को मोहरेंगा, सिरपुर, अर्जुनी, बारनवापारा आदि स्थलों का भ्रमण कराया गया, जहाँ उन्होंने विभिन्न पौध प्रजातियों को पहचानना, उनके उपयोग और आर्थिक महत्व को समझा। इस दौरान प्रशिक्षुओं ने 93 फंगस, 153 फ्लोरा, 47 औषधीय पौधे और 187 बीज प्रजातियों को चिन्हित कर सूचीबद्ध किया।
पैराटैक्सोनॉमी को पर्यटन से जोड़ने पर विचार
समापन समारोह में प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख व्ही. श्रीनिवास राव और BSI के वैज्ञानिक डॉ. एस.एस. दास उपस्थित थे। श्री राव ने इस पहल की सराहना करते हुए पैराटैक्सोनॉमी को पर्यटन (होमस्टे, नेचर ट्रेल, जंगल गाइड) से जोड़ने और प्रशिक्षित युवाओं को BMC प्रशिक्षण और पीपुल्स बायोडायवर्सिटी रजिस्टर (PBR) के अपग्रेडेशन में उपयोग करने का सुझाव दिया। उन्होंने बस्तर और सरगुजा वृत्त के छात्रों के लिए भी ऐसे प्रशिक्षण आयोजित करने की योजना बनाने के निर्देश दिए।
छत्तीसगढ़ राज्य जैवविविधता बोर्ड के अध्यक्ष राकेश चतुर्वेदी के मार्गदर्शन में यह प्रशिक्षण कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। इससे छात्रों में न केवल जैवविविधता के प्रति जागरूकता बढ़ी है बल्कि उन्हें रोजगार के नए अवसर भी प्राप्त होंगे।