मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सुझाव देते हुए कहा कि कृषि कार्य को मनरेगा से जोड़ना चाहिए और पराली का उपयोग जैविक खाद का निर्माण किया जाना चाहिए। पंजाब एवं हरियाणा राज्य हर वर्ष लगभग 35 मिलियन टन पराली या पैरा जला कर उसे नष्ट कर देती है। इससे न तो राज्य को फ़ायद होता है न जनता को और न ही पर्यावरण को । इसका कारण बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि धान के फसल बाद तुरंत गेहू का फसल लेना और किसानों के पास धन से निकले पैरा का निस्तारण करने उपाय न होना।
किसानों को इस बात का ज्ञान है कि पराली को जलने से वायु प्रदूषित होगा साथ ही भूमि की उर्वरा शक्ति क्षीण होगी फिर भी वे ऐसा कदम उठाते हैं। किसानों को सिखाने का प्रयास किया जाना चाहिए कि बचे हुए पराली खाद बनाया जा सकता है। लगभग 100 किलोग्राम पराली से 50 – 60 किलोग्राम खाद प्राप्त किया जा सकता है। इसके विपरीत दिल्ली में 40 से 42 प्रतिशत प्रदुषण अक्टूबर और सितम्बर माह में पराली के जलाने से होता है। इसलिए इसका उपाय यही है कृषि को मनरेगा से जोड़ा जाये और पराली का उपयोग खाद निर्माण के कार्य में हो।