छत्तीसगढ़ में धान की फसल में बीमारियों का खतरा! कृषि विभाग ने किसानों को दी सलाह!
छत्तीसगढ़ में धान की फसल में बीमारियों का खतरा! कृषि विभाग ने किसानों को दी सलाह!

छत्तीसगढ़ में चालू खरीफ सीजन में अब तक 48.16 लाख हेक्टेयर में बोनी हो चुकी है, लेकिन हाल के दिनों में तेज धूप और बदलते मौसम के कारण कुछ जिलों में धान की फसल में बीमारियों के लक्षण सामने आ रहे हैं।

कौन सी बीमारियां हैं?

  • तना छेदक: यह कीट धान के पौधे के तने को छेदकर नुकसान पहुंचाता है।
  • भूरा माहो कीट: यह कीट पत्तियों को नुकसान पहुंचाता है।
  • झुलसा रोग: यह एक फफूंदजनित रोग है जो पत्तियों को नुकसान पहुंचाता है।
  • जीवाणु जनित झुलसा (बहरीपान) रोग: यह रोग भी पत्तियों को नुकसान पहुंचाता है।
  • शीथ ब्लाइट रोग: यह भी एक फफूंदजनित रोग है जो पत्तियों और तनों को नुकसान पहुंचाता है।

किसानों के लिए कृषि विभाग की सलाह:

  • तना छेदक: फेरोमोन ट्रैप और लाइट ट्रैप का इस्तेमाल करें।
  • भूरा माहो कीट: फोरेट का उपयोग न करें। गंभीर प्रकोप होने पर इमिडाक्लोप्रिड या इथीप्रोप$इमिडाक्लोप्रिड का उपयोग करें।
  • झुलसा रोग: ट्राइसाइक्लोजोल, आइसोप्रोथियोलेन, या टेबुकोनाजोल जैसी फफूंदनाशक दवाओं का छिड़काव करें।
  • जीवाणु जनित झुलसा: खेत से पानी निकालकर 3-4 दिन तक खुला छोड़ें और 25 किलो पोटाश प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें।
  • शीथ ब्लाइट रोग: हेक्साकोनाजोल का छिड़काव करें।
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अन्य सलाह:

  • दलहनी और तिलहनी फसलों में जल निकासी का प्रबंधन सही तरीके से करें।
  • फसल में कीट और बीमारियों की सतत निगरानी बनाए रखें।
  • अपने नजदीकी ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी या कृषि विभाग से संपर्क करें।

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