छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिला अस्पताल में बीते दिनों मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद ग्रामीणों की आंखों में संक्रमण फैलने के मामले में स्वास्थ्य विभाग ने सख्त कार्रवाई करते हुए दो अधिकारियों को बर्खास्त कर दिया है। इस घटना ने एक बार फिर सरकारी अस्पतालों में लापरवाही और घटिया सुविधाओं के प्रति चिंता जताई है।
घटनाक्रम के अनुसार, 22 अक्टूबर को दंतेवाड़ा जिला अस्पताल में 20 लोगों का मोतियाबिंद ऑपरेशन किया गया था। ऑपरेशन के बाद, 10 ग्रामीणों ने आँखों में जलन, खुजली और दिखाई न देने की शिकायत की। स्थिति गंभीर होने पर जगदलपुर के मेडिकल कॉलेज और रायपुर के अंबेडकर हॉस्पिटल में 9 मरीजों को रेफर किया गया।
इस घटना की गंभीरता को देखते हुए स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी ने खुद अस्पताल का दौरा किया और मरीजों का हालचाल जाना। उन्होंने जांच के निर्देश दिए थे, जिसके बाद अब जांच रिपोर्ट आने के बाद दोषियों को बर्खास्त कर दिया गया है।
कौन हैं दोषी?
कार्यालय मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी दंतेवाड़ा द्वारा जारी निलंबन आदेश में अभिषेक मण्डल (जूनियर साइंटिस्ट) डी.एम.एफ. संविदा प्रभारी अस्पताल प्रबंधक और माइकोबायोलॉजिस्ट (डी.एम.एफ. संविदा) उमाकांत तिवारी को लापरवाही का दोषी पाया गया है। उन्हें छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील) नियम 1966 के तहत तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।
गंभीर सवाल खड़े
इस घटना ने सरकारी अस्पतालों में मरीजों के प्रति लापरवाही और घटिया सुविधाओं के प्रति गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार लाने के लिए सरकार को कड़े कदम उठाने की जरूरत है।
आगे क्या?
मंत्री जायसवाल ने डॉक्टर्स की टीम को सभी का सही से इलाज किये जाने का निर्देश दिया है। अब इस घटना के बाद स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली में क्या बदलाव आएंगे, यह देखना होगा।
यह घटना हमें याद दिलाती है कि स्वास्थ्य सेवाओं में गुणवत्ता और मरीजों की सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण है।