सारंगढ़-बिलाईगढ़ क्षेत्र में स्वास्थ्य जागरूकता का एक नया अध्याय लिखा गया, जब कलेक्टर धर्मेश साहू के मार्गदर्शन में टिमरलगा में एक विशेष टीबी जांच शिविर का आयोजन किया गया। मौसम की प्रतिकूलता के बावजूद, स्थानीय नागरिकों ने अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता दिखाते हुए बड़ी संख्या में शिविर में भाग लिया।
बारिश की रिमझिम फुहारों के बीच, 63 लोगों ने न केवल टीबी की जांच कराई, बल्कि मौसमी बीमारियों के लिए भी परीक्षण करवाया। चिंता का विषय यह रहा कि इनमें से 30 व्यक्तियों में टीबी के संदिग्ध लक्षण पाए गए। यह आंकड़ा स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों के लिए एक चेतावनी के रूप में सामने आया है।
शिविर में उपस्थित चिकित्सा विशेषज्ञों ने बताया कि संदिग्ध मामलों की पुष्टि के लिए अगले चरण में विस्तृत पैथोलॉजिकल जांच की जाएगी। डॉ. अविनाश कुमार, जो इस शिविर के प्रमुख चिकित्सा अधिकारी थे, ने कहा, “हमारा प्राथमिक लक्ष्य है कि कोई भी टीबी का मरीज बिना पहचान और इलाज के न रहे। संदिग्ध मामलों की त्वरित जांच और समय पर उपचार से हम इस बीमारी के प्रसार को रोक सकते हैं।”
यह शिविर स्थानीय खनिज विभाग, स्वास्थ्य विभाग और क्रेशर उद्योग समूह के संयुक्त प्रयास का परिणाम था। विशेष रूप से माइनिंग क्षेत्र के श्रमिकों और आसपास के निवासियों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए यह आयोजन किया गया था। श्रीमती गिरिजा लहरे, जो स्वास्थ्य विभाग की वरिष्ठ अधिकारी हैं, ने बताया, “माइनिंग क्षेत्र में काम करने वाले लोगों को विभिन्न श्वसन रोगों का खतरा अधिक होता है। इस तरह के शिविर उनके लिए वरदान साबित हो सकते हैं।”
शिविर में स्वास्थ्य विभाग के कई वरिष्ठ अधिकारी और कर्मचारी मौजूद थे, जिनमें आरएचओ, सीएचओ पर्यवेक्षक, और अन्य चिकित्सा सहायक शामिल थे। श्री दिनेश वर्मा, जो क्रेशर उद्योग समूह के प्रतिनिधि थे, ने कहा, “हम अपने कर्मचारियों के स्वास्थ्य को लेकर बेहद गंभीर हैं। ऐसे शिविरों का आयोजन नियमित रूप से किया जाना चाहिए।”
इस शिविर ने न केवल टीबी जैसी गंभीर बीमारी के प्रति जागरूकता बढ़ाई, बल्कि स्थानीय समुदाय में स्वास्थ्य के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण भी विकसित किया। आने वाले दिनों में ऐसे और शिविरों के आयोजन की योजना बनाई जा रही है।