रायपुर: श्री संभवनाथ जैन मंदिर विवेकानंद नगर में जारी आत्मोल्लास चातुर्मास 2024 में 115 सिद्धि तप के सफल समापन के उपलक्ष्य में रविवार को “अखिलं मधुरम” अणाहारी अरिहंत की महानैवैद्य पूजा का आयोजन किया गया। यह पूजा भक्तिमय वातावरण में संपन्न हुई!
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के विवेकानंद नगर में हुए ऐतिहासिक शताधिक सामूहिक सिद्धि तप के निमित्त इस महापूजन का आयोजन परम पूज्य मुनिश्री जयपाल विजयजी म.सा., मुनिश्री प्रियदर्शी विजयजी म.सा.,मुनिश्री तीर्थप्रेम विजयजी म.सा., परम पूज्य साध्वीश्री रत्ननिधिश्रीजी म.सा.,रिद्धिनिधिश्रीजी म.सा. आदि ठाणा के पावन निश्रा में किया गया।
क्या था खास?
अरिहंत परमात्मा को 114 प्रकार के विविध और विशिष्ट नैवेद्य चढ़ाए गए। ये केवल फल और मिठाई ही नहीं थे, बल्कि अचार-मसाले-खड़े मसाले-शरबत-मुखवास आदि भी शामिल थे। इन नैवेद्य में हमारी सभी आसक्तियों का प्रतीक था, जो हम खाते हैं, वो सब परमात्मा को चढ़ाया गया।
मुनिश्री ने कहा कि श्रावक का पहला कर्तव्य है घर में बनने वाली रसोई की पहली थाली परमात्मा को चढ़ाई जाए।
मुनिश्री तीर्थप्रेम विजयजी म.सा. ने पांच इंद्रियों की परवशता को संसार परिभ्रमण का मुख्य कारण बताया। इंद्रियों की आसक्तियों से मुक्त होने का सबसे कठिन और जटिल मार्ग है तप। आहार को छोड़ना और आहार का समर्पण इस मार्ग के मुख्य पहलू हैं।
मुनिश्री ने कहा कि अणाहारी पद सिद्धशीला में प्राप्त होता है, जहां किसी भी प्रकार की झंझट नहीं होती है।