धमतरी जिले में एक अनूठा प्रयास किया जा रहा है, जहां आयुर्वेद और जल संरक्षण को एक साथ लाकर समाज के स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों को लाभ पहुंचाया जा रहा है। यह पहल धमतरी के वन क्षेत्र, बूटीगढ़ में शुरू की गई है, जहां प्राकृतिक रूप से औषधीय पौधों की बहुलता है।
बूटीगढ़: आयुष रसशाला का केंद्र
बूटीगढ़ में ‘आयुष रसशाला’ (औषधीय पेय केंद्र) की स्थापना की गई है, जो स्थानीय लोगों को आयुर्वेदिक पेय और औषधियों से लाभान्वित करेगा। यह रसशाला स्थानीय पौधों से बने हर्बल पेय पदार्थों का निर्माण करेगी, जिसमें शरीर के लिए आवश्यक पोषक तत्व शामिल होंगे।
इस पहल के पीछे का मुख्य उद्देश्य स्थानीय लोगों को आयुर्वेदिक जीवनशैली को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना है। बूटीगढ़ में हर्बेरियम का निर्माण भी किया जा रहा है, जहां औषधीय पौधों को संरक्षित और प्रचारित किया जाएगा।
जल जगार: जल संरक्षण और आयुर्वेदिक पेय
धमतरी में ‘जल जगार’ कार्यक्रम के माध्यम से जल संरक्षण के बारे में जागरूकता फैलाई जा रही है। इस कार्यक्रम में आयुर्वेदिक पेय पदार्थों और औषधियों को प्रदर्शित किया जाता है, जिनका शरीर और पर्यावरण दोनों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। आयुर्वेदिक चिकित्सक लोगों को स्वस्थ जीवन के लिए शुद्ध पानी और आयुर्वेदिक खानपान को अपनाने के लाभ बताते हैं।
अर्जुन क्षीरपाक: हृदय रोगों के लिए रामबाण
आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी डॉ. अवध पचौरी ने बताया कि ‘अर्जुन क्षीरपाक’, जो अर्जुन पेड़ की छाल से बनाया जाता है, हृदय स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद है। नियमित रूप से इसका सेवन करने से हृदय की धमनियों को मजबूती मिलती है और हृदय के स्वास्थ्य में सुधार होता है। विशेष रूप से उन लोगों के लिए यह बहुत उपयोगी है, जिन्हें हृदय रोगों का खतरा होता है।
आयुष रसशाला: प्राचीन आयुर्वेदिक ज्ञान का प्रसार
आयुर्वेद के प्राचीन ग्रंथों में से एक रसशास्त्र से प्रेरणा लेकर, आयुष रसशाला में ताजी जड़ी-बूटियों से औषधीय रस, अर्क और क्वाथ तैयार किए जाते हैं। इन औषधियों का सेवन करने से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और कई बीमारियों से बचाव होता है।
बूटीगढ़: आयुर्वेद और जल संरक्षण का भविष्य
यह पहल धमतरी जिले में आयुर्वेद और जल संरक्षण को एक साथ लाने का एक उल्लेखनीय प्रयास है। बूटीगढ़ में ‘आयुष रसशाला’ और हर्बेरियम की स्थापना आयुर्वेद के प्रति जागरूकता बढ़ाने और स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य में सुधार लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
आइए, हम भी अपने आस-पास के वन क्षेत्रों और पौधों का महत्व समझें और इनका संरक्षण करें। आयुर्वेद और जल संरक्षण को अपनाकर, हम स्वस्थ जीवन और एक स्वच्छ पर्यावरण का निर्माण कर सकते हैं।