छत्तीसगढ़ में ईएसआईसी (Employees’ State Insurance Corporation) के अस्पतालों में चल रहा है एक ऐसा खेल, जिसमें मरीजों की सेहत से ज्यादा ब्रांडेड दवाओं का व्यापार महत्वपूर्ण है। केंद्र और राज्य सरकार द्वारा जेनेरिक दवाओं के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के बावजूद, ईएसआईसी और सीजीएमएससी (Chhattisgarh State Medical Services Corporation) के आदेशों की धज्जियां उड़ाते हुए ब्रांडेड दवाओं की खरीद जारी है।
दरअसल, सरकार ने मरीजों को सस्ती दवाएं उपलब्ध कराने के लिए स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं। इन निर्देशों में डॉक्टरों को जेनेरिक दवाएं लिखने, दवाओं के नाम अंग्रेजी में बड़े अक्षरों में लिखने और दवा पर्ची में नजदीकी जेनेरिक दवा केंद्र का पता दर्शाने की बात कही गई है। जेनेरिक दवाएं ब्रांडेड दवाओं से 70% तक सस्ती होती हैं, जिससे ईएसआईसी द्वारा दवा खरीद पर होने वाला खर्च आधा हो सकता है और मरीजों को भी सस्ती दवाएं मिल सकती हैं।
लेकिन क्या है कि ये एजेंसियां कमीशन और भ्रष्टाचार के चक्कर में फंसी हुई हैं और सरकार के आदेशों को नजरअंदाज कर रही हैं। हर साल करीब 40 करोड़ रुपये की ब्रांडेड दवाएं खरीदी जा रही हैं, जबकि जेनेरिक दवाएं खरीदकर इस खर्च को आधा किया जा सकता है।
छत्तीसगढ़ में अनियमितताओं का इतिहास
छत्तीसगढ़ में ईएसआईसी में दवा खरीद में अनियमितताओं की शिकायतें पुरानी हैं। कांग्रेस शासनकाल में छत्तीसगढ़ लोक आयोग और आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो में इस मामले में प्रकरण दर्ज किए गए थे। प्रकरण क्रमांक 12/2018 और आर273/2017 में जांच अभी भी लंबित है।
हालांकि, ईएसआईसी ने पुरानी पद्धति से ही दवा खरीदने की तैयारी कर ली है। निविदा नियमों के विरुद्ध, पिछली खरीद में दवा खरीदने का आदेश तो कंपनियों को दिया गया था, लेकिन भुगतान डिलर को किया गया था।
केंद्र सरकार के साफ निर्देश हैं कि दवाएं जेम (Government e-Marketplace) के माध्यम से या सरकारी उद्यमों से खरीदी जानी चाहिए। इसके अलावा, ईएसआईसी को ब्रांडेड दवाओं की जगह जेनेरिक दवाएं खरीदने और डॉक्टरों को भी जेनेरिक दवाएं लिखने का निर्देश है।
लेकिन लगता है कि ईएसआईसी ने सरकार के इन निर्देशों को भी अनसुना कर दिया है। रेट कांट्रेक्ट के माध्यम से ईएसआईसी अधिक दर पर पसंदीदा कंपनियों से ब्रांडेड दवाएं खरीद रही है।
सरकार ने समय-समय पर जेनेरिक दवाओं के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए आदेश जारी किए हैं। ईएसआई कॉरपोरेशन ने देश भर के सभी ईएसआई अस्पतालों में पीएम जन औषधि केंद्र खोलने के निर्देश भी दिए हैं। यह कदम अस्पतालों में दवाओं की उपलब्धता को आसान बनाने के लिए उठाया गया है।
यह सवाल उठता है कि जब सरकार इतना प्रयास कर रही है, तो ईएसआईसी और सीजीएमएससी सरकार के आदेशों का पालन क्यों नहीं कर रहे हैं? क्या ब्रांडेड दवाओं के व्यापार में फंसे ये लोग मरीजों की सेहत और जेब को नजरअंदाज कर रहे हैं?
यह एक गंभीर मामला है जिस पर तुरंत ध्यान देना चाहिए। ईएसआईसी और सीजीएमएससी को सरकार के आदेशों का पालन करना चाहिए और मरीजों के हितों को प्राथमिकता देनी चाहिए।