A70DFEB1EF5CA6567D3585AD006CE9F4, नरवा, गरवा, घुरवा और बारी पर आधारित प्रदर्शनी राज्योत्सव में बना आकर्षण का केंद्र
A70DFEB1EF5CA6567D3585AD006CE9F4, नरवा, गरवा, घुरवा और बारी पर आधारित प्रदर्शनी राज्योत्सव में बना आकर्षण का केंद्र

छत्तीसगढ़ सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों के आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाने के लिए हर संभव प्रयास किया है. इसी उद्देश्य से नरवा, गरवा, घुरवा और बारी योजना का शुरुआत किया गया. इसके माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में स्वरोजगार के अवसर बढ़ते गए. ग्रामीणजन अपने घर में ही कई प्रकार के कार्य प्रारम्भ कर आजीविका के लिए इस योजना के साथ आगे बढ़ रहे हैं. राज्य के कई क्षेत्रों में इस योजना ने अभूत पूर्व सफलता प्राप्त किया है. राज्योत्सव में प्रदर्शनी के माध्यम से मेले में आए लोगों को इस योजना के बारे में बताने का प्रयास किया गया.

 विभाग के स्टॉल में राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान) के अंतर्गत काम कर रहीं स्वसहायता समूह की महिलाएं गोबर के दीये, धूपबत्ती और गमला बनाते हुए भी देखी जा सकती हैं. ‘बिहान’ के स्वसहायता समूह की महिलाओं द्वारा बनाए गए गोबर के दीयों की मांग इस साल दीवाली में छत्तीसगढ़ से लेकर दिल्ली तक थी. इस बार दीवाली में अनेक लोगों के घर इन महिलाओं के बनाए गोबर के दीयों से रोशन हुए थे.

इसे भी पढ़ें  रायपुर : मुख्यमंत्री श्री बघेल ने ‘द पायोनियर‘ समाचार पत्र के नवीन राज्य कार्यालय का किया शुभारंभ

स्टॉल में महिला स्वसहायता समूहों द्वारा बनाए गए उत्पादों की बिक्री भी की जा रही हैं. महिलाएं यहां गोबर के दिए, धूपबत्ती, लक्ष्मी और गणेश की मूर्तियां, सजावट के समान, साबुन तथा नीम से निर्मित फिनाइल बेच रही हैं. राज्योत्सव में बड़ी संख्या में लोग इन समानों की खरीदी कर रहे हैं. राज्य शासन के अनेक विभागों द्वारा लगाए गए स्टॉलों के बीच पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के इस स्टॉल को नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के साथ संयुक्त रूप से राज्योत्सव के दूसरे सर्वश्रेष्ठ स्टॉल का पुरस्कार मिला है.

स्टॉल में नरवा, गरवा, घुरवा और बारी के मॉडल के जरिए इस योजना के बारे में विस्तार से बताया गया है. गौठान की विभिन्न व्यवस्थाओं चरवाहों के विश्राम कक्ष, पशुओं के बैठने के शेड, उनको चारा खिलाने और पानी पिलाने की व्यवस्था, पैरावट, उपचार के लिए ट्रेविस तथा गोबर से वर्मी कंपोस्ट निर्माण को यहां आकर्षक ढंग से प्रदर्शित किया गया है. बारी योजना के तहत साग-सब्जियों तथा फूलों की खेती और इनमें कंपोस्ट खाद के उपयोग के फलस्वरूप लहलहाती, हरी-भरी बारी को भी दर्शाया गया है.

इसे भी पढ़ें  आईआईटी और मेडिकल के लिए रायपुर में राष्ट्रीय स्तर की कोचिंग प्रारंभ

लोग पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के मॉडल का बारिकी से अवलोकन कर नरवा, गरवा, घुरवा और बारी के संरक्षण-संवर्धन की जरूरत और तरीकों से रू-ब-रू हो रहे हैं. आकर्षक डिस्प्ले के माध्यम से नरवा, गरवा, घुरवा और बारी के संरक्षण व संवर्धन के लिए पिछले 10 महीनों में किए गए कार्यों के बारे में भी यहां बताया गया है. विभाग के स्टॉल में स्वच्छ भारत मिशन के तहत साफ-सफाई के प्रति जागरूकता के संदेश के साथ ही ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन के लिए गांवों में शासन द्वारा दी जाने वाली आर्थिक मदद की भी जानकारी दी जा रही है.      

Leave a comment

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *