छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में अकलवारा और कमारपारा के आसपास के इलाकों में रहने वाले कमार विशेष पिछड़ी जनजाति के लोग पक्की सड़क बनने से बेहद खुश हैं। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) के तहत 1.125 किलोमीटर लंबी डामर सड़क का निर्माण किया गया है। इससे उन्हें ब्लॉक मुख्यालय छुरा और जिला मुख्यालय गरियाबंद जाने-आने में होने वाली दिक्कतों से निजात मिल गई है।
विकास के लिए महत्वपूर्ण कदम
पक्की सड़क न होने से इस इलाके में आवागमन और बुनियादी सुविधाओं को पहुँचाना मुश्किल था। अब एम्बुलेंस, उज्ज्वला योजना के गैस की गाड़ियां, मोबाइल मेडिकल यूनिट और मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लिनिक योजना की गाड़ियां आसानी से पहुँच पा रही हैं। इससे शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, आवास, पीडीएस खाद्यान्न, बिजली आदि सुविधाओं तक लोगों की पहुँच बढ़ी है।
मुख्यमंत्री की पहल
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल से पिछड़ी जनजातियों को शासन की कल्याणकारी योजनाओं से जोड़कर उनके जीवन स्तर को बेहतर बनाने का प्रयास किया जा रहा है। PMGSY और छत्तीसगढ़ सरकार की योजनाओं के समन्वय से कमार, अबूझमाड़िया, बैगा, बिरहोर, पहाड़ी कोरवा जैसी विशेष पिछड़ी जनजातियों के जीवन में बदलाव आ रहा है।
कमार जनजाति के बारे में
- गरियाबंद जिले में कमार जनजाति के 3,350 परिवार रहते हैं, जिनकी आबादी 14,285 है।
- कम जनसंख्या, कम साक्षरता दर, कृषि की आदिम तकनीक और आर्थिक पिछड़ेपन के कारण कमार जनजाति को विशेष पिछड़ी जनजाति घोषित किया गया है।
- चावल, कोदो, दाल, सब्जियां, मांस, जंगली साग आदि इनका मुख्य भोजन है।
- ये कमारी और छत्तीसगढ़ी भाषा बोलते हैं।
अकलवारा से कमारपारा सड़क बनने से क्षेत्र के लगभग डेढ़ हजार लोगों को आवागमन के लिए बारहमासी पक्की सड़क की सुविधा मिल गई है। यह सड़क विकास और प्रगति का मार्ग प्रशस्त करेगी।