गिरौदपुरी में सतनामीयों के गुरु बाबा घासीदास का जन्म स्थल है। यहाँ साल में दो बार – दिसम्बर और मार्च – में मेला होता है। यहाँ बहुत ऊँचा जैतखम्ब का निर्माण किया गया है। प्राकृतिक सौन्दर्य छातापहाड़ आदि दर्शनीय है।
Situated by the confluence of the Mahanadi and Jonk rivers, 40 KM from Balodabazar and 80 km from Bilaspur, the Giroudpuri Dham is one of Chhattisgarh’s most revered pilgrimage points. This tiny village, which has deep associations of spirituality and historical interest, is the birthplace of the founder of Chhattisgarh’s Satnami Panth, Guru Ghasidas. Born into a farmer family of the region, one day he rose up to become Guru Ghasidas, a much-revered figure in Chhattisgarh. Pilgrims arrive here to venerate him at his ‘seat’, which is located next to the Jait Khamba. He is said to have done Tapasya for a long time under the Auradhara tree which is still there. This sacred place is also known as tapobhumi. The Charan Kund is a sacred pond and the site of the annual Giroudpuri Mela. Another kilometer from here is located the ancient Amrit Kund, whose waters are believed to be sweet.
इस जगह का आध्यात्म और इतिहास से बहुत गहरा नाता रहा है। और सबसे विशेष बात यह है कि सतनामी पंथ के संस्थापक श्री गुरु घासीदास जी के जन्मस्थली होने के नाते देश-विदेश से पर्यटक यहां आध्यात्मिक ज्ञान की खोज में यहां आते हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि आत्मज्ञान की प्राप्ति के लिए उन्होंने औराधरा वृक्ष के नीचे तपस्या की थी, जो अब तपोभूमि के नाम से प्रचलित है।
गिरौदपुरी मेला. रंगारंग स्थानीय संस्कृति और परंपराओं से सुसज्जित यह मेला भारी संख्या में पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। यहां का एक प्रमुख आकर्षण यहां की जाने वाली पूजा विधि है, जिसमें सैंकड़ों लोग सफेद कपड़े घारण कर पूजा अनुष्ठान में भाग लेते हैं।
अमृत कुंड. गिरौदपुरी से महज 1 किमी की दूरी पर स्थित इस जगह का इतिहास बहुत रोचक है। कहा जाता है कि यहां पर पीने के पानी की बहुत किल्लत रहती थी और प्रशासन के तमाम प्रयासों के बावजूद यह समस्या दूर नहीं हो पा रही थी। तब एक स्थानीय साधु ने लोगों की मदद करने के उद्देश्य से अपनी दैवीय शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए एक पहाड़ के हिस्से को अपने अंगूठे से छूकर एक गढ्ढे में तब्दील कर दिया, जहां से मीठे पानी की जलधारा फूट पड़ी। फिर जिस कुंड में इस पानी का भंडारण किया जाने लगा उसे अमृत कुंड का नाम दिया गया।
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How to Reach:
By Air
The nearest airport to Giraudpuri Dham is the Raipur Airport. After reaching here, by road anybody can reach to Giroudpuri Dham.
By Train
There are Bhatapara, Raipur, Bilaspur and Mahasamund railway stations to come to Giroudpuri Dham. After reaching here, by road anybody can reach to Giroudpuri Dham.
By Road
Giroudpuri Dham can be reached from the city through road from Raipur, Mahasamund, Balodabazar, Bhatapara, Kasdol, Shibri Narayan, Bilaspur, Sarangarh, Basna etc.