छत्तीसगढ़ के कृषकों के लिए सुनहरा अवसर: डॉ. खूबचंद बघेल कृषक रत्न पुरस्कार 2024
छत्तीसगढ़ के कृषकों के लिए सुनहरा अवसर: डॉ. खूबचंद बघेल कृषक रत्न पुरस्कार 2024

छत्तीसगढ़ के कृषकों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है। राज्य सरकार ने डॉ. खूबचंद बघेल कृषक रत्न पुरस्कार 2024 के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं। यह पुरस्कार राज्य के उन कृषकों को दिया जाता है जिन्होंने कृषि के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया है।

आवेदन प्रक्रिया

  • आवेदन की अंतिम तिथि: 31 अगस्त 2024
  • आवेदन जमा करने का स्थान: कार्यालय उप संचालक कृषि एवं वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी, सुकमा
  • आवेदन प्रारूप: निर्धारित प्रारूप में ही आवेदन स्वीकार किए जाएंगे

पात्रता मानदंड

पुरस्कार के लिए आवेदन करने वाले कृषकों को निम्नलिखित मानदंडों को पूरा करना होगा:

  1. आवेदक छत्तीसगढ़ का निवासी होना चाहिए
  2. कृषि क्षेत्र में कम से कम 5 वर्ष का अनुभव
  3. नवीन कृषि तकनीकों का प्रयोग
  4. उत्पादकता में वृद्धि का प्रमाण

पुरस्कार का महत्व

यह पुरस्कार न केवल कृषकों के लिए सम्मान का प्रतीक है, बल्कि उनके कठिन परिश्रम और नवाचार को भी मान्यता देता है। डॉ. खूबचंद बघेल के नाम पर स्थापित यह पुरस्कार छत्तीसगढ़ के कृषि इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है।

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पुरस्कार में शामिल है

  • प्रशस्ति पत्र
  • नकद राशि
  • राज्य स्तर पर सम्मान

पुरस्कार वितरण समारोह

पुरस्कार का वितरण 1 नवंबर 2024 को राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर किया जाएगा। यह समारोह राज्य के कृषि क्षेत्र में उत्कृष्टता को प्रोत्साहित करने का एक महत्वपूर्ण मंच बन गया है।

अधिक जानकारी के लिए

विस्तृत जानकारी के लिए आप निम्नलिखित स्रोतों का उपयोग कर सकते हैं:

  • कृषि विभाग की आधिकारिक वेबसाइट: www.agriportal.cg.nic.in
  • कार्यालय उप संचालक कृषि, सुकमा

इस पुरस्कार के माध्यम से छत्तीसगढ़ सरकार न केवल कृषकों को प्रोत्साहित कर रही है, बल्कि राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम उठा रही है। यह पहल निश्चित रूप से राज्य के कृषि क्षेत्र में नए आयाम स्थापित करेगी।

डॉ. खूबचंद बघेल के बारे में

डॉ. खूबचंद बघेल छत्तीसगढ़ के एक प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक, शिक्षाविद् और समाजसेवी थे। उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन कृषि विकास और किसानों के कल्याण के लिए समर्पित किया।

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जीवन और कार्य

  • जन्म: डॉ. बघेल का जन्म छत्तीसगढ़ के एक छोटे से गाँव में हुआ था।
  • शिक्षा: उन्होंने कृषि विज्ञान में उच्च शिक्षा प्राप्त की और डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की।
  • कार्यक्षेत्र: वे मुख्य रूप से फसल सुधार और कृषि तकनीकों के विकास पर केंद्रित रहे।

प्रमुख योगदान

  1. स्थानीय फसलों का संरक्षण: उन्होंने छत्तीसगढ़ की पारंपरिक फसलों के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  2. किसान शिक्षा: गाँव-गाँव जाकर किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकों से अवगत कराया।
  3. अनुसंधान: कई नई फसल किस्मों का विकास किया जो स्थानीय जलवायु के अनुकूल थीं।

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