कोंडागांव: गरीबी से मुक्ति का सफ़र, प्रधानमंत्री आवास योजना का जादू
कोंडागांव: गरीबी से मुक्ति का सफ़र, प्रधानमंत्री आवास योजना का जादू

कोंडागांव जिले के ग्राम दहीकोंगा के रहने वाले पूरन दास मानिकपुरी का जीवन गरीबी के संघर्ष से शुरू हुआ था। दो बेटों के साथ एक छोटे से कच्चे मकान में रहने वाले पूरन दास के लिए जीवनयापन आसान नहीं था। लेकिन प्रधानमंत्री आवास योजना ने उनकी ज़िंदगी में एक नया मोड़ ला दिया।

पूरन दास के पास मात्र 5 डिसमिल जमीन थी, जिसमें एक तरफ़ आवास योजना के तहत बना पक्का घर है और दूसरी तरफ़ बरसात में दलहनी फसल उगाते हैं। उनके बड़े बेटे की शादी हो चुकी है और वह अपनी दादी पतीबाई और अपनी पत्नी के साथ रहते हैं। छोटा बेटा भी शादीशुदा है और वह पूरन दास और उनकी माँ के साथ रहता है। दोनों परिवारों की आर्थिक स्थिति हमेशा तंग रही है क्योंकि खेती के लिए ज़मीन नहीं है। ऐसे में जीविकोपार्जन के लिए मजदूरी ही एकमात्र सहारा है।

पूरन दास और उनके परिवार के लिए एक नया संघर्ष तब शुरू हुआ जब उनके दोनों बेटों की शादी हो गई और उनके रहने के लिए पर्याप्त जगह नहीं बची। इस मुश्किल समय में, पूरन दास और उनकी माता पतीबाई का नाम प्रधानमंत्री आवास योजना में शामिल हुआ। यह खबर उनके लिए मानो धूप में छांव मिलने जैसा था। दोनों परिवारों को इस योजना के तहत पक्का मकान मिला और उनके जीवन में एक नया अध्याय शुरू हुआ।

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आज, पूरन दास और उनका परिवार एक पक्के घर में रहते हैं। उनकी माता पतीबाई भी इस योजना के लाभार्थी हैं। उनके बड़े नाती ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मिले घर से नए उत्साह के साथ आसपास के बाजारों से वनोपज, धान आदि की खरीदारी शुरू कर दी है और इसी से उनका घर चलता है।

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मिला घर पूरन दास और उनके परिवार के लिए सिर्फ एक सुरक्षित स्थान नहीं बल्कि आत्मसम्मान की भावना लौटाने वाला है। यह उनके संघर्षों का अंत नहीं, बल्कि नई आशाओं का आरंभ है। पूरन दास की कहानी उन लाखों गरीब परिवारों की कहानी है जिन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना के माध्यम से एक नई ज़िंदगी मिली है। यह योजना सिर्फ एक घर नहीं, बल्कि जीवन की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने का साधन बनी है।