कोरबा में प्रधानमंत्री आवास योजना का सपना हुआ साकार: तालम दास महंत का खुशी का किस्सा
कोरबा में प्रधानमंत्री आवास योजना का सपना हुआ साकार: तालम दास महंत का खुशी का किस्सा

कोरबा के मुड़ापार निवासी तालम दास महंत के लिए पक्के आवास का सपना सच हुआ है, और इस खुशी में उनके चेहरे पर एक अलग ही चमक दिखाई दे रही है। उनका मानना है कि एक मजबूत घर सिर्फ़ सुरक्षा नहीं देता, बल्कि मान-सम्मान और सामाजिक प्रतिष्ठा भी बढ़ाता है।

आंधी, बारिश और सर्दी, हर मौसम की चुनौतियों से निजात पाने के लिए तालम दास कई सालों से पक्का घर बनाने की चाह रखते थे। लेकिन सीमित संसाधन उनके सपने को पूरा करने से रोक रहे थे। फिर उनके जीवन में प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना आई। इस योजना की मदद से, और अपनी मेहनत की कमाई और बचत से तालम दास ने खुद के लिए एक खूबसूरत घर बनवाया है।

तालम दास ने बताया, ”जीवन के संघर्षों के बीच अपने परिवार को एक सुरक्षित छत देना, यह एक बड़ी उपलब्धि होती है। हमारे परिवार में 16 लोग हैं, और पहले तो हम सब एक कच्चे घर में रहते थे। बारिश में छत टपकती, सर्दी में ठंड होती, और गर्मी में तपती। घर छोटा था तो परिवार के सदस्यों के बीच जगह की भी कमी थी।

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कई बार तो बारिश में मजदूरी का काम छोड़कर मकान की मरम्मत करनी पड़ती थी। इससे हमारे परिवार पर आर्थिक दबाव पड़ता था। मेहमानों को भी गर्मी या बारिश में आने पर उन्हें शर्मिंदगी होती थी। मैं पिछले कई सालों से पक्का मकान बनाने की सोच रहा था, लेकिन पैसे की कमी आड़े आ रही थी।

फिर मेरा नाम प्रधानमंत्री आवास योजना में आया। सरकार ने समय पर किश्तों में पैसे दिए। अपने परिवार की बचत, बैंक का लोन और रिश्तेदारों की मदद से मैंने अपना सपना पूरा किया। अब हम सब मिलकर इस घर में खुशहाल जीवन बिता रहे हैं। यह घर न केवल हमें सुरक्षित रखेगा, बल्कि हमारे बच्चों के लिए एक स्थायी संपत्ति भी है।

मैं प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और छत्तीसगढ़ शासन के मुखिया विष्णु देव साय को धन्यवाद देता हूं, जिनके कारण मेरी और हमारे जैसे कई परिवारों का सपना पूरा हुआ है।’

तालम दास की कहानी बताती है कि प्रधानमंत्री आवास योजना जैसे सरकारी प्रयास गांवों और शहरों में आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के जीवन में कैसे बदलाव ला रहे हैं। पक्का घर न केवल एक सुरक्षित आश्रय होता है, बल्कि समाज में लोगों के जीवन स्तर को भी ऊपर उठाने में अहम भूमिका निभाता है।

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