छत्तीसगढ़ की धरती से अयोध्या तक पहुंचा प्रेम, बस्तर के खादी सिल्क से सुशोभित हुए श्री रामलला
छत्तीसगढ़ की धरती से अयोध्या तक पहुंचा प्रेम, बस्तर के खादी सिल्क से सुशोभित हुए श्री रामलला

रायपुर, छत्तीसगढ़: प्रभु श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद पहली जन्माष्टमी पर अयोध्या से लेकर छत्तीसगढ़ तक एक अनोखा सांस्कृतिक संगम देखने को मिला। इस खास मौके पर श्री रामलला को बस्तर के शिल्पियों द्वारा विशेष रूप से तैयार किए गए पीले खादी सिल्क के वस्त्र धारण कराए गए।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस अवसर पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि “श्री कृष्ण जन्माष्टमी के पुनीत अवसर पर श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ स्थल में श्रीरामलला को छत्तीसगढ़ में निर्मित पीली खादी सिल्क से निर्मित वस्त्र धारण कराना हमारे लिए सौभाग्य की बात है।”

दंडकारण्य से अयोध्या तक प्रेम का बंधन

मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ को भगवान श्रीराम का ननिहाल होने का गौरव प्राप्त है। बस्तर अंचल, जिसे दंडकारण्य भी कहा जाता है, वहां प्रभु राम ने अपने वनवास काल का अधिकांश समय व्यतीत किया था। ऐसे में उनके ननिहाल से भेजा गया यह विशेष परिधान सभी छत्तीसगढ़वासियों के लिए गर्व का क्षण है।

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ननिहाल की परंपराओं का प्रतीक

श्री साय ने कहा कि यह वस्त्र केवल एक परिधान नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति, परंपरा और श्री राम के प्रति यहां के लोगों की अटूट श्रद्धा का प्रतीक है। बस्तर के शिल्पकारों ने अपनी अनन्य भक्ति और समर्पण से इसे तैयार किया है।

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