छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के बागबहरा ब्लॉक के कुलिया गांव में भालुओं का आतंक ग्रामीणों के लिए परेशानी का सबब बन गया है. पिछले दो साल से भालुओं का एक दल गांव में डेरा डाले हुए है, दिन में जंगल में रहते हैं और रात में गांव की गलियों में घूमते हैं. भालुओं की चहल-कदमी से ग्रामीणों में दहशत का माहौल है.
भालुओं का उत्पात
भालू सिर्फ गलियों में ही नहीं घूमते, बल्कि शाम होते ही उत्पात मचाना शुरू कर देते हैं. वे गांव के बंद दरवाजों पर दस्तक देते हैं, घरों में घुसकर राशन की चीजें चोरी करते हैं और बिखरा देते हैं.
ग्रामीणों की शिकायत
ग्रामीणों का कहना है कि वन विभाग और प्रशासन से कई बार शिकायत की गई है, लेकिन भालुओं से मुक्ति दिलाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया.
सीसीटीवी फुटेज से खुलासा
तरुण गजेंद्र ने अपने घर में लगे सीसीटीवी फुटेज दिखाते हुए बताया कि गुरुवार की रात भालू शिव मंदिर का दरवाजा खोलकर प्रसाद खा गए और फिर उनके घर की दीवार लांघकर आंगन में घुस गए. उन्होंने चैनल गेट को तोड़ने की कोशिश की, लेकिन असफल रहने पर आंगन में रखे पौधों को नुकसान पहुँचाया.
भालुओं के हमले से जख्मी
पूर्व उपसरपंच टेशलाल सिन्हा ने बताया कि भालुओं ने एक दिन उनका पीछा किया और गिरा दिया जिससे उनका हाथ फैक्चर हो गया. उनका कहना है कि भालुओं के हमले से कई ग्रामीण जख्मी हो चुके हैं और वन विभाग ग्रामीणों की सुरक्षा के प्रति गंभीर नहीं है.
भालुओं की संख्या में इजाफा
गांव के केशव साहू ने बताया कि दो साल पहले दो भालू आते थे, लेकिन अब उनकी संख्या बढ़ती जा रही है. गांव के अलग-अलग मोहल्लों में दो-दो, तीन-तीन की संख्या में दल बनाकर रहते हैं. वे किचन में रखे टिन को फोड़कर तेल पी जाते हैं और दरवाजे भी उठाकर निकाल देते हैं.
रात में डर के साये में जी रहे ग्रामीण
भालुओं के आतंक से ग्रामीणों में दहशत का माहौल है और वे रात में डर-डर कर सोते हैं. ग्रामीणों ने प्रशासन और वन विभाग से भालुओं से मुक्ति दिलाने की मांग की है.