मनु भाकर का स्वर्णिम आगमन: पेरिस ओलंपिक से दो पदक लेकर लौटीं भारत की शेरनी
मनु भाकर का स्वर्णिम आगमन: पेरिस ओलंपिक से दो पदक लेकर लौटीं भारत की शेरनी

पेरिस ओलंपिक 2024 में भारत का नाम रोशन करने वाली मनु भाकर का बुधवार सुबह दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर भव्य स्वागत किया गया। 22 वर्षीय इस निशानेबाज ने अपने शानदार प्रदर्शन से न केवल देश का मान बढ़ाया, बल्कि भारतीय निशानेबाजी के इतिहास में एक नया अध्याय भी जोड़ा है।

मनु की ऐतिहासिक उपलब्धि

मनु भाकर ने 10 मीटर एयर पिस्टल व्यक्तिगत स्पर्धा में कांस्य पदक जीतकर भारत को पेरिस ओलंपिक में पहला पदक दिलाया। इसके बाद उन्होंने 10 मीटर मिश्रित टीम एयर पिस्टल स्पर्धा में सरबजोत सिंह के साथ मिलकर एक और कांस्य पदक अपने नाम किया। यह उपलब्धि विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसके साथ ही भारत ने निशानेबाजी में 12 वर्षों के लंबे सूखे को समाप्त किया है।

भव्य स्वागत और उत्साह

जैसे ही मनु हवाई अड्डे से बाहर निकलीं, उनके माता-पिता ने गर्व और खुशी से भरकर उन्हें गले लगाया। स्वागत समारोह में मनु के परिवार के अलावा दिल्ली, हरियाणा और उत्तराखंड से आए समर्थक भी शामिल थे। वातावरण “भारत माता की जय” के नारों से गूंज उठा, जो इस युवा चैंपियन के प्रति देश के प्यार और सम्मान को दर्शाता था।

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कोच जसपाल राणा का योगदान

मनु की इस उपलब्धि में उनके कोच जसपाल राणा का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उत्तराखंड के मूल निवासी राणा को भी समर्थकों ने भरपूर प्यार और सम्मान दिया। राणा के पिता नारायण राणा ने इस अवसर पर कहा, “एक ही ओलंपिक में दो पदक जीतकर मनु ने इतिहास रच दिया है। यह भारतीय निशानेबाजी के लिए एक नए युग की शुरुआत है।”

भविष्य की उम्मीदें

मनु की सफलता ने न केवल वर्तमान को उज्जवल किया है, बल्कि भविष्य के लिए भी नई उम्मीदें जगाई हैं। नारायण राणा ने आगे कहा, “इस प्रदर्शन से निश्चित रूप से निशानेबाजी की ओर अधिक ध्यान आकर्षित होगा, जिससे आने वाले समय में और भी बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद की जा सकती है।”

क्लोजिंग सेरेमनी में भारत का प्रतिनिधित्व

मनु का ओलंपिक सफर अभी समाप्त नहीं हुआ है। वह पेरिस ओलंपिक की समापन समारोह में भारत की ध्वजवाहक होंगी। इस सम्मान के लिए वह रविवार को पुनः पेरिस जाएंगी, जहाँ वह पूरे देश का प्रतिनिधित्व करेंगी।

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मनु भाकर की यह उपलब्धि न केवल उनके व्यक्तिगत करियर के लिए, बल्कि समग्र रूप से भारतीय खेल जगत के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। उनकी सफलता युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी और निश्चित रूप से भारत में निशानेबाजी के भविष्य को नई दिशा देगी।

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