मोक्ष प्राप्त करना है तो आपको पैसा, परिवार, गाड़ी, बंगला सबका मोह त्यागना होगा: श्रमणतिलक विजय

रायपुर, छत्तीसगढ़: न्यू राजेंद्र नगर स्थित वर्धमान जैन मंदिर के मेघ-सीता भवन में चल रहे आत्मकल्याण वर्षावास 2024 की प्रवचन श्रृंखला में शनिवार को परम पूज्य श्रमणतिलक विजय जी ने मोक्ष प्राप्ति के विषय पर अपने विचार रखे।

उन्होंने कहा कि मोक्ष प्राप्त करने के लिए आपको पैसा, परिवार, बंगला, गाड़ी जैसे सारी सांसारिक वस्तुएं छोड़नी होगी। क्योंकि मोक्ष के रास्ते में यह सारी चीजें दूर-दूर तक नहीं आती हैं।

विजय जी ने कहा, “यह मोक्ष भी आपको शत-प्रतिशत पूरी तरह से इस भव में नहीं मिलेगा, पूर्णता मोक्ष प्राप्त करने के लिए आपको 6 से 7 भव लग सकते है।”

उन्होंने आगे कहा कि आज के समय में लोगों को व्यापार इतना प्यार हो चुका है कि उनके पास धर्म के लिए समय नहीं है। वे खुद तो नहीं आते और बच्चों को भी चातुर्मासिक गतिविधियों में भाग नहीं लेने देते

विजय जी ने बताया कि “ऐसा इसलिए क्योंकि वे डरते हैं कि बच्चा साधु संतों की बात में ना फंस जाए। बच्चा अगर चातुर्मास में जाएगा तो घर आकर पिता को गलत करते देखेगा, रात्रि भोजन करके आप पाप कर रहे हो, नरक में जाओगे कहेगा, तो आप उनकी ऐसी बातें बर्दाश्त नहीं करोगी इसीलिए उसे पहले ही जाने से रोक दिया।”

इसे भी पढ़ें  बिलासपुर: कैट ने 'दिवाली विद माय भारत' अभियान के तहत चलाया सफाई अभियान, लोगों को कपड़े के थैले वितरित किए

उन्होंने बच्चों की शिक्षा पर भी ज़ोर देते हुए कहा कि “आज बच्चों के लिए उनकी लाइफ स्टाइल अपने तय कर दी है। उनका डेस्टिनेशन अपने तय कर दिया है और आपने अपना कर्तव्य यह तय करके रखा है कि उसे पढ़ना लिखना है।”

विजय जी ने माता-पिता को बच्चों को संस्कार देने के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि “आपको बच्चों को संस्कार देना होगा, इसके लिए आपको अपने व्यवहार और जीवन शैली को भी बदलना होगा।”

उन्होंने कहा कि पहले बच्चों को 6 साल तक स्कूल नहीं भेजा जाता था क्योंकि यह उनके खेलने-कूदने और शारीरिक बढ़त का समय होता था, उसके बाद उन्हें शिक्षा ग्रहण के लिए गुरुकुल भेजा जाता था। आज तो 6 महीने के बच्चों को भी पालनाघर में छोड़कर माता-पिता अपने काम पर निकल जाते हैंकुछ दिन बाद प्ले स्कूल में डाल कर अपना पीछा छुड़ा लेते हैं और फिर स्कूल चालू हो जाता है।

इसे भी पढ़ें  राज्य में 84 फीसद खरीफ बोनी पूर्ण

विजय जी ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि “स्कूल के बाद बच्चों को बाहर पढ़ने भेज देते हैं और फिर बच्चा अपने मन की करने लगता है। पढ़ाई करके जब उसकी नौकरी बाहर लग जाती है तो बच्चा आपको छोड़कर नौकरी करने चला जाता है। अब पहले तो बच्चे को आपने ही छोड़ दिया और बाद में बच्चों ने आपको छोड़ दिया तो इस जीवन का अर्थ क्या निकला यह विचार करने योग्य विषय है।

Leave a comment

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *