छत्तीसगढ़ वेल फेयर सोसायटी के संस्थाक राणा मुखर्जी अपने बारे में बताते हुए कहते हैं कि “बात है 2014 की, जब मैं भिलाई में बतौर इंजिनियर नौकरी कर रहा था और उस समय मैं नियमित रूप से रक्तदान करता था. एक दिन सरकारी अस्पताल से फोन आया कि किसी छोटी बच्ची को खून की सख्त जरूरत है. मै वहां तुरंत गया, वह बच्ची काफ़ी गंभीर स्तिथि में थी, उस अस्पताल में वेंटिलेटर की सुविधा नहीं थी और मुझे भी पर्याप्त जानकारी नहीं थी कि मुझे क्या करना चाहिए. बच्ची के माता-पिता भी काफ़ी गरीब थे. उनको यह सलाह दी जा रही थी कि बच्ची को प्राइवेट चिकित्सालय लें जाएं. अपने आप को लाचार पाकर, वे मुझसे मदद मांगने लगे पर मेरे पास उनकी मदद करने के लिए कुछ भी नहीं था, मेरे हाथ खाली थे और ना ही इतनी समझ थी कि उनकी कैसे मदद की जाए. देखते ही देखते, कुछ घंटो बाद उस बच्ची ने दम तोड़ दिया.
इस घटना के बाद कुछ दिन तो मेरे लिए काफ़ी मुश्किल थे. मुझे बहुत अफसोस हो रहा था कि मैं चाहते हुए भी उनकी मदद न कर सका. इस घटना ने मेरी ज़िन्दगी में एक अहम मोड़ लाया। इस घटना ने मुझे यह सिखाया की अपने पेशे के अलावा भी समाज में हमारे कुछ कर्त्तव्य हैं। मैंने यह संस्था शुरू करने के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी और अपने गृहनगर कोरबा आ गया. जब मैंने यह फैसला लिया और कार्य शुरू किया तब मै अकेला था. जिस किसी को मैं बताता-समझाता, उन्हें लगता कि मैं मज़ाक कर रहा हूं या अपने करियर के साथ कुछ गलत कर रहा हूं. कोई समर्थन करने को आगे नहीं आ रहा था, लेकिन मेरी भी एक ज़िद थी कि कुछ करना ज़रूर है.
फिर ‘छत्तीसगढ़ हेल्प वेलफेयर सोसाइटी’ एक जरिया बनी जिससे हम कुछ लोग समाज में अपना कर्तव्य पूरा कर रहे हैं. हमने शुरुआत रक्तदान जैसे महादान से की जो की सरकारी अस्पतालों पर केंद्रित थी. फिर कुछ दिनों बाद 15 अगस्त 2016 से हमने भोजन सेवा शुरू की. अभी ‘छत्तीसगढ़ हेल्प वेलफेयर सोसायटी’ मुुख्यतः दो योजनाओं पर ध्यान दे रही है ‘अपना घर सेवा आश्रम जो कि सभी उम्र के लोगों के लिए है, जिनका कोई नहीं और ‘एकलव्य विद्या एवं संस्कार केन्द्र’, यह आदिवासी बच्चो के पालन, पोषण, पढ़ाई और उनमें संस्कार लाने के लिए खोला गया है.”इसी तरह शिक्षा मित्र के माध्यम से झुग्गी बस्ती में रहने वाले जरूरतमंद छात्र – छात्राओं को उचित शिक्षा प्रदान करने के लिए सायं कालीन अध्यायपन कार्य प्रारंभ किया गया.
राणा मुखर्जी कोरबा स्थित ‘छत्तीसगढ़ हेल्प वेलफेयर सोसायटी’ नामक संस्था के संस्थापक हैं. उनका मानना हैं की राष्ट्र सेवा करने के लिए त्याग की आवश्यकता होती है. बिना त्याग किए देश की सेवा आप नहीं कर सकते. बिना वर्दी के भी हम समाज के उन लोगों की मदद कर सकते है जिनके आंखो में आंसू है, जिनके चेहरे से मुस्कुराहट चली गई है. भगत सिंह को प्रेरणा स्त्रोत मानकर आज ये आगे बढ़ रहे हैं.