नारायणपुर जिले के ग्राम भुरवाल के निवासी कावेराम, पिता हिरूराम, एक साधारण किसान थे। वे खेती-किसानी करके अपने और अपने परिवार का जीवन यापन करते थे। लेकिन, समय के साथ धान की फसल का उत्पादन घटने लगा, और लागत बढ़ने से उनकी आय में कमी आने लगी। उनकी चिंता बढ़ती जा रही थी।
इसी बीच, उन्हें उद्यानिकी विभाग की योजनाओं के बारे में जानकारी मिली। उन्होंने विभागीय योजनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी ली और उद्यानिकी के क्षेत्र में काम करने का फैसला किया।
कावेराम ने 2.00 हेक्टेयर ज़मीन पर उन्नत तकनीकों का इस्तेमाल करके करेला और टमाटर की खेती शुरू की। उनकी मेहनत रंग लाई, और उनकी आमदनी पहले से कहीं ज़्यादा बढ़ गई। उन्होंने बताया कि, “धान की खेती में मैं बहुत कम कमा पाता था, लेकिन उद्यानिकी से मेरी आमदनी बहुत बढ़ गई है।”
उद्यानिकी विभाग ने कावेराम को करेला और टमाटर की खेती करने के लिए आवश्यक तकनीकी सहायता प्रदान की। कावेराम अब 35 से 40 क्विंटल करेला और टमाटर का उत्पादन कर रहे हैं, जिससे उन्हें लगभग 1 लाख 14 हजार रुपये की आमदनी हो रही है।
कावेराम की सफलता से आसपास के अन्य किसान भी प्रेरित हो रहे हैं और उद्यानिकी खेती अपना रहे हैं। उद्यानिकी विभाग ने कावेराम को वर्ष 2023-24 में पैक हाउस निर्माण के लिए अनुदान राशि भी प्रदान की है।
कावेराम की कहानी एक प्रेरणा है कि कैसे उद्यानिकी जैसे आधुनिक तरीकों को अपनाकर किसान अपनी ज़िंदगी बदल सकते हैं। यह कहानी हमें बताती है कि नई तकनीकों और विभागीय योजनाओं का लाभ उठाकर किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार हो सकता है।