छत्तीसगढ़ में खनन क्षेत्र की प्रमुख कंपनियों NMDC और SECL की लापरवाही के कारण स्थानीय जनता को होने वाली परेशानियों पर चिंता व्यक्त करते हुए, रायपुर के सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने शुक्रवार को लोकसभा में एक महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया। उन्होंने खदानों में हो रहे दुर्घटनाओं के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की, साथ ही खुली खदानों के तत्काल पुनर्वास पर जोर दिया।
खनन के बाद की जिम्मेदारी
सांसद अग्रवाल ने लोकसभा को बताया कि छत्तीसगढ़ की SECL (साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड) के लिए यह अनिवार्य है कि वह अपनी ओपन कास्ट कोयला परियोजनाओं में खनन के बाद:
- खदानों को वापस भरे
- उन्हें पूर्व स्थिति में लाए
- वृक्षारोपण करे
परंतु यह दुखद है कि इन नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है।
SECL की कार्यप्रणाली पर सवाल
SECL ने 50 से अधिक खदानों से कोयला निकाला है, लेकिन उनके पुनर्वास की ओर ध्यान नहीं दिया गया है। सांसद ने आरोप लगाया कि:
- रिक्लेमेशन के नाम पर अरबों रुपये खर्च किए गए
- खदानों को पूर्व स्थिति में नहीं लाया गया
- वृक्षारोपण की प्रक्रिया नहीं की गई
दुर्घटनाओं का बढ़ता खतरा
इस लापरवाही के परिणामस्वरूप:
- खदानों में पानी भर जाता है
- खुली खदानें खतरनाक स्थिति पैदा करती हैं
- लगातार दुर्घटनाएँ हो रही हैं
- बड़ी संख्या में ग्रामीणों और पशुओं की मौतें हो रही हैं
पर्यावरण और समाज पर प्रभाव
सांसद अग्रवाल ने इस स्थिति के व्यापक प्रभावों पर भी प्रकाश डाला:
- पर्यावरण को गंभीर नुकसान
- स्थानीय लोगों में नाराजगी और गुस्से का माहौल
- क्षेत्र में भय का वातावरण
आगे की राह
बृजमोहन अग्रवाल ने कोयला मंत्रालय से निम्नलिखित मांगें की हैं:
- दोषी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई
- खुली खदानों का जल्द से जल्द पुनर्वास
- स्थानीय जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम
यह मुद्दा न केवल छत्तीसगढ़ के लिए, बल्कि पूरे देश के खनन क्षेत्र के लिए एक चेतावनी है। सरकार और खनन कंपनियों को मिलकर एक ऐसी रणनीति बनानी होगी जो आर्थिक विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन स्थापित कर सके।