पहाड़ी कोरवा सागर: ईंट ढोने से शिक्षक बनने की कहानी!
पहाड़ी कोरवा सागर: ईंट ढोने से शिक्षक बनने की कहानी!

रायपुर: पहाड़ी कोरवा सागर की कहानी संघर्ष और उम्मीद की एक मिसाल है। कुछ समय पहले तक ईंट ढोने वाले सागर आज प्राथमिक शाला में बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के निर्देश पर विशेष पिछड़ी जनजाति वर्ग के बेरोजगार युवकों को नौकरी देने के अभियान से सागर को मिला नया जीवन।

ईंट ढोने से लेकर शिक्षक बनने तक का सफ़र:

  • सागर पहाड़ी कोरवा जनजाति से ताल्लुक रखते हैं।
  • उनके लिए रोजी-रोटी की व्यवस्था एक बड़ी चुनौती थी।
  • उन्हें ईंट ढोने का काम करना पड़ता था जिससे उन्हें शारीरिक थकावट होती थी।
  • उन्होंने बहुत संघर्ष से बारहवीं पास की।
  • 2022 में 12वीं पास करने के बाद उन्हें फिर से मजदूरी करनी पड़ी।
  • मुख्यमंत्री के निर्देश पर जिला प्रशासन द्वारा विशेष पिछड़ी जनजाति वर्ग के युरायपुर: पहाड़ी कोरवा सागर की कहानी संघर्ष और उम्मीद की एक मिसाल है। कुछ समय पहले तक ईंट ढोने वाले सागर आज प्राथमिक शाला में बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के निर्देश पर विशेष पिछड़ी जनजाति वर्ग के बेरोजगार युवकों को नौकरी देने के अभियान से सागर को मिला नया जीवन।
  • ईंट ढोने से लेकर शिक्षक बनने तक का सफ़र:
  • सागर पहाड़ी कोरवा जनजाति से ताल्लुक रखते हैं।
  • उनके लिए रोजी-रोटी की व्यवस्था एक बड़ी चुनौती थी।
  • उन्हें ईंट ढोने का काम करना पड़ता था जिससे उन्हें शारीरिक थकावट होती थी।
  • उन्होंने बहुत संघर्ष से बारहवीं पास की।
  • 2022 में 12वीं पास करने के बाद उन्हें फिर से मजदूरी करनी पड़ी।
  • मुख्यमंत्री के निर्देश पर जिला प्रशासन द्वारा विशेष पिछड़ी जनजाति वर्ग के युवकों को नौकरी देने का अभियान शुरू हुआ जिसके तहत सागर का चयन हुआ।
  • शिक्षक बनने की खुशी:
  • सागर अब कोरबा ब्लॉक के ग्राम चीतापाली में प्राथमिक शाला में शिक्षक हैं।
  • नौकरी लगने से उनके परिवार और समाज में ख़ुशी का माहौल है।
  • वे अब बच्चों को पढ़ाने के साथ ही खुद भी बहुत कुछ सीख रहे हैं।
  • डीएमएफ से मानदेय आधार पर मिली नौकरी उनके लिए नए भविष्य और आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाने का रास्ता है।
  • सागर की कहानी उम्मीद का संदेश देती है कि संघर्ष और लगन से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।वकों को नौकरी देने का अभियान शुरू हुआ जिसके तहत सागर का चयन हुआ।
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शिक्षक बनने की खुशी:

  • सागर अब कोरबा ब्लॉक के ग्राम चीतापाली में प्राथमिक शाला में शिक्षक हैं।
  • नौकरी लगने से उनके परिवार और समाज में ख़ुशी का माहौल है।
  • वे अब बच्चों को पढ़ाने के साथ ही खुद भी बहुत कुछ सीख रहे हैं।
  • डीएमएफ से मानदेय आधार पर मिली नौकरी उनके लिए नए भविष्य और आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाने का रास्ता है।

सागर की कहानी उम्मीद का संदेश देती है कि संघर्ष और लगन से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।

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