दुर्ग में आज पर्वाधिराज पर्यूषण पर्व का प्रथम दिवस था। “वेलकम पर्युषण वेलकम” विषय पर साध्वी भगवत ने अपने विचारों से सभी को मोहित किया। महिलाएं लाल रंग की साड़ियों में सजी हुईं थीं और पुरुष सफेद परिधान में, सभी सामाजिक वेशभूषा में धर्म सभा में परमात्मा की वाणी का साध्वी श्री मुखारविंद से श्रवण कर रहे थे।
धर्म सभा का आयोजन:
प्रवचन सभा प्रातः 8:00 बजे से प्रारंभ होकर 10:15 बजे तक चली। धर्म सभा में परमात्मा की वाणी के साथ-साथ अंतागढ़ दशांक सूत्र एवं पेसठिया छंद का अनुष्ठान जयआनंद की स्तुति के साथ प्रारंभ हुआ।
साध्वीजी का संदेश:
साध्वी डॉक्टर सुमंगल प्रभा, साध्वी सुवृद्धि श्रीजी एवं साध्वी रजत प्रभा जी ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि पर्वाधिराज पर्व के मंगल आगमन के साथ ही बड़े-छोटे सबके हृदय में आनन्द का झरना फूट पड़ता है। जैसे गुलाब अपनी मद भरी सुवास चारों ओर प्रसारित करता है, वैसे ही धर्म रुपी सुवास को फैलाता यह पर्व हमारे आँगन में आ गया है। यह पर्व सबके हृदय में मैत्री भाव तथा अहिंसा का पवित्र झरना बहाता है!
पर्व के दो प्रकार:
साध्वीजी ने बताया कि पर्व दो प्रकार के होते हैं – लौकिक और लोकोत्तर। जिन पवो मे केवल राग-रंग का प्रधायन्य होता है वे लौकिक पर्व है! पर्वाधिराज पर्यूषण आत्मा को उर्ध्वगति के सोपान पर चडाने वाला लोकोत्तर पर्व है। इस पर्व की आराधना करने से लोकोत्तर दिव्य सुख प्राप्त होते हैं। यह पर्व जिनशासन का श्रृंगार है।
कल्पसूत्र का वाचन और प्रतियोगिता:
आज दोपहर को साध्वी श्री रजत प्रभा ने कल्पसूत्र का वाचन किया जिसमें बड़ी संख्या में महिला वर्ग उपस्थित हुआ।
धार्मिक अंताक्षरी प्रतियोगिता में आज चार लोगों का 10 ग्रुप बनाया गया। 2 घंटे तक चली इस अंताक्षरी प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर रुचिता बाघमार, संगीता बाफना, ममता कर्णावट, रचना रतन बोहरा तथा द्वितीय स्थान पर सौम्या मोदी, श्वेता भंडारी, रेणुका गोलछा ने कब्जा जमाया।
आज के कार्यक्रम:
आज सूर्यास्त के पश्चात प्रतिक्रमण तथा उसके पश्चात आचार्य सम्राट जयमल जी महाराज की 1 घंटे स्तुति का कार्यक्रम जय आनंद मधुकर रतन भवन बांधा तालाब दुर्ग में आयोजित किया जाएगा।
यह पर्व समाज में एकता, अहिंसा और आध्यात्मिक उन्नति का संदेश देता है! इस पर्व के माध्यम से लोग आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करते हैं और अपने जीवन को बेहतर बनाने का प्रयास करते हैं।