रायपुर: कृषि अभियंताओं का 36वां राष्ट्रीय सम्मेलन, किसानों की आय बढ़ाने के लिए नई तकनीकों पर होगा मंथन!
रायपुर: कृषि अभियंताओं का 36वां राष्ट्रीय सम्मेलन, किसानों की आय बढ़ाने के लिए नई तकनीकों पर होगा मंथन!

रायपुर, छत्तीसगढ़: कृषि विकास एवं किसान कल्याण मंत्री रामविचार नेताम ने कहा है कि प्रौद्योगिकी के विकास के कारण खेतों में आज ट्रैक्टर चलित कल्टिवेटर, रोटावेटर, कम्बाइन जैसे आधुनिक कृषि यंत्रों एवं मशीनरी का उपयोग हो रहा है. इसके साथ ही अब कृषि में ड्रोन तथा ए.आई. तकनीक का उपयोग भी होने लगा है.

रायपुर के इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कृषक सभागार में आयोजित कृषि अभियंताओं के दो दिवसीय 36वें राष्ट्रीय सम्मेलन सह संगोष्ठी के शुभारंभ समारोह को संबोधित करते हुए कृषि मंत्री नेताम ने कहा कि कृषि मशीनरी के तकनीकी विकास के कारण कृषि के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन आया है.

इस राष्ट्रीय कार्यक्रम का आयोजन इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजिनियर्स (इंडिया) छत्तीसगढ़ स्टेट सेन्टर, रायपुर एवं स्वामी विवेकानंद कृषि अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र, कृषि अभियांत्रिकी संकाय, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर के संयुक्त तत्वावधान में किया जा रहा है.

सम्मेलन में देश भर से आए कृषि अभियंता शामिल हुए हैं.

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सम्मेलन का विषय:

  • “सतत विकास के लिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार हेतु कृषि अभियंताओं का योगदान”

कृषि मंत्री ने कहा कि कृषि के क्षेत्र में आज अनेकों चुनौतियां विद्यमान हैं. जलवायु परिवर्तन के कारण किसान फसल उत्पादन संबंधी अनेक चुनौतियों से जूझ रहे हैं. ऐसे में कृषि अनुसंधान प्रौद्योगिकी विकास तथा कृषि यंत्रीकरण के द्वारा ही इन चुनौतियों का सामना किया जा सकता है.

इस सम्मेलन में कृषि में जुताई-बुआई से लेकर कटाई-मड़ाई एवं प्रसंस्करण की क्रियाओं का मशीनीकरण, ड्रोन का उपयोग, रिमोट सेंसिंग एवं भौगोलिक सूचना प्रणाली का उपयोग, कृषि बागवानी में अत्याधुनिक तकनीकों जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस रोबोटिक्स एवं आई.ओ.टी. का प्रयोग आदि विषयों पर चर्चा होगी.

कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने कहा कि भारत में कृषि के क्षेत्र में जो तीन मुख्य कमियां चिन्हित की गई हैं इनमें से कृषि के क्षेत्र में यंत्रों का उपयोग प्रमुख है.

केंद्रीय भू-जल बोर्ड, भारत सरकार के अध्यक्ष डॉ. सुनील के. अम्बस्ट ने कहा कि कृषि मशीनरी के विकास के साथ ही भू-जल संरक्षण एवं प्रबंधन के क्षेत्र में भी अधिक कार्य किये जाने की आवश्यकता है.

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यह सम्मेलन किसानों की आय बढ़ाने के लिए यथोचित रणनीति को अंतिम रूप देगा.

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