रायपुर के विवेकानंद नगर में स्थित संभवनाथ जैन मंदिर में चल रहे आत्मोल्लास चातुर्मास 2024 के तीसरे दिन ‘भूतल के भगवान: मातृ पितृ वंदना’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस पावन अवसर पर मुनिश्री तीर्थप्रेम विजयजी म.सा. ने भावपूर्ण शब्दों में कहा कि हमारे माता-पिता ही इस धरती के असली भगवान हैं, और हमें उनकी सेवा में डूब जाना चाहिए।
मुनिश्रीजी ने आगे कहा कि हमारे माता-पिता ने हमारे लिए जो बलिदान दिया है, हमें जिस लायक बनाया है, उन्हें वंदन करना हमारा कर्तव्य है। उन्होंने सभी को अपने माता-पिता के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाने का आह्वान किया और कहा कि हमें ऐसा व्यवहार रखना चाहिए जिससे उनके मन को कभी ठेस न पहुँचे।
चातुर्मास समिति के कार्यकारी अध्यक्ष पुखराज मुणोत और महासचिव सुरेश बरडिया ने बताया कि यह आयोजन 10 नवंबर को मुनिश्री जयपाल विजयजी म.सा., मुनिश्री प्रियदर्शी विजयजी म. सा, मुनिश्री तीर्थप्रेम विजयजी म. सा, साध्वी रत्ननिधिश्रीजी म.सा, और साध्वी रिद्धिनिधि श्रीजी म.सा आदि ठाणा के शुभ सानिध्य में संपन्न हुआ।
रविवार सुबह, चतुर्विद संघ के परम निश्रा में माता-पिता की महिमा का गुणगान किया गया। सभी को इस धरती पर भगवान तुल्य माता-पिता को नमन वंदन करने की प्रेरणा दी गई। कार्यक्रम में बच्चों ने गायन और नाट्य प्रस्तुति के माध्यम से मातृ वंदना की भावना को जीवंत किया।
मंच पर पाँच सिंहासन – वीर सिंहासन, पार्श्व सिंहासन, ऋषभ सिंहासन, श्रवण सिंहासन, और गणेश सिंहासन – पर पाँच लाभार्थी परिवारों ने अपने माता-पिता को विराजित किया। बाकी सभी लोगों ने व्याख्यान पंडाल में अपने माता-पिता को दूध, जल से प्रक्षालित किया और तिलक कर उनके चरणों को अपने मस्तक से लगाया। यह भावुक क्षण सभी की आँखों में आंसू ला गया।
संगीतकार हर्षित मुंबई ने अपने भजनों से वातावरण को करुणामयी बना दिया। इस मौके पर तीन दिवसीय उजामन प्रदर्शनी का उद्घाटन आजीवन रात्रि भोजन का त्याग करने वाली मंजू कोठारी को प्राप्त हुआ। यह तीन दिवसीय प्रदर्शनी दर्शन, ज्ञान, और चारित्र से संबंधित सामग्री से सजी हुई है, जिसे सभी श्रावक-श्राविकाओं ने देखा।