राखी का अनोखा संदेश: धमतरी की महिलाओं ने नक्सल क्षेत्र के जवानों को भेजी सुरक्षा की डोर
राखी का अनोखा संदेश: धमतरी की महिलाओं ने नक्सल क्षेत्र के जवानों को भेजी सुरक्षा की डोर

छत्तीसगढ़ के धमतरी शहर से एक ऐसी खबर आई है, जो देशभक्ति और भाईचारे का अनूठा उदाहरण पेश करती है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की महिला मोर्चा ने एक अभिनव पहल की है, जिसमें उन्होंने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में तैनात जवानों के लिए राखियां भेजी हैं। यह कदम न केवल राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है, बल्कि उन वीर सैनिकों के प्रति कृतज्ञता का भी संदेश देता है, जो अपने परिवारों से दूर रहकर देश की सेवा में लगे हैं।

धमतरी पुलिस अधीक्षक आंजनेय वार्ष्णेय के माध्यम से ये राखियां भेजी गई हैं। महिला मोर्चा की सदस्यों ने पुलिस अधीक्षक को राखी बांधकर इस अभियान की शुरुआत की। उन्होंने कहा, “हमारा उद्देश्य है कि राखी के पावन पर्व पर हमारे जाबांज सैनिक भाइयों की कलाइयां खाली न रहें। वे हमारी सुरक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर रहे हैं, और यह हमारा छोटा सा प्रयास है उनके प्रति आभार व्यक्त करने का।”

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इस अवसर पर भाजपा जिलाध्यक्ष प्रकाश बैस ने कहा, “यह पहल हमारे सुरक्षाकर्मियों के मनोबल को बढ़ाने में मदद करेगी। यह उन्हें यह एहसास दिलाएगी कि पूरा देश उनके साथ खड़ा है।” महिला मोर्चा की जिलाध्यक्ष चंद्रकला पटेल ने भी इस अवसर पर कहा, “राखी केवल एक धागा नहीं है, यह भाई-बहन के प्यार और सुरक्षा का प्रतीक है। हमारे जवान हमारे लिए अनजान भाई हैं, जो हमारी रक्षा करते हैं।”

कार्यक्रम में शामिल वरिष्ठ भाजपा नेत्री पार्वती वाधवानी ने बताया कि इस पहल के तहत न केवल राखियां, बल्कि विजय तिलक भी भेजा जा रहा है। उन्होंने कहा, “विजय तिलक हमारी शुभकामनाओं का प्रतीक है। हम चाहते हैं कि हमारे जवान हर चुनौती पर विजय प्राप्त करें।”

इस अभियान में शामिल अन्य प्रमुख महिलाओं में प्रदेश कोषाध्यक्ष हेमलता शर्मा, खिलेश्वरी किरण, अर्चना चौबे, और कल्पना रणसिंह शामिल थीं। इन सभी ने मिलकर यह संदेश दिया कि देश की सुरक्षा में लगे हर जवान के पीछे पूरे देश की शक्ति खड़ी है।

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यह पहल न केवल राष्ट्रीय एकता को मजबूत करती है, बल्कि समाज के विभिन्न वर्गों के बीच सेतु का काम भी करती है। यह दर्शाता है कि कैसे छोटे-छोटे प्रयासों से हम अपने सुरक्षाकर्मियों का मनोबल बढ़ा सकते हैं और उन्हें यह एहसास दिला सकते हैं कि उनका बलिदान व्यर्थ नहीं जा रहा है।

इस तरह की पहल न केवल स्थानीय स्तर पर महत्वपूर्ण है, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी एक मिसाल कायम करती है। यह दिखाता है कि कैसे परंपरागत त्योहारों को राष्ट्रीय एकता और सामाजिक सद्भाव के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।

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