पुराने विवाद का खौफनाक अंजाम
बिलासपुर के सरकंडा थाना क्षेत्र के ग्राम लगरा में एक दिल दहला देने वाली घटना ने सभी को स्तब्ध कर दिया है। पिता की हत्या का बदला लेने के लिए तीन पड़ोसियों ने मिलकर एक युवक की जान ले ली। इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि बदले की भावना किस हद तक इंसान को अंधा बना सकती है।
क्या था मामला?
छतराम केंवट, जो रोजी-मजदूरी करके अपना जीवन यापन कर रहा था, सोमवार को अपने तीन पड़ोसियों – जितेंद्र केंवट, धर्मेंद्र केंवट और हेमंत केंवट का शिकार बन गया। इन तीनों ने मिलकर छतराम पर टंगिया और लाठी से जानलेवा हमला किया, जिसके कारण मौके पर ही उसकी मृत्यु हो गई।
पुलिस की कार्रवाई
घटना की सूचना मिलते ही सरकंडा पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए गांव में घेराबंदी की और दो आरोपियों – हेमंत केंवट और धर्मेंद्र केंवट को हिरासत में ले लिया। तीसरा आरोपी, जितेंद्र केंवट, अभी भी फरार है और पुलिस उसकी सघन तलाश में जुटी हुई है।
पुराने विवाद का खुलासा
पुलिस पूछताछ में एक चौंकाने वाला तथ्य सामने आया। आरोपियों ने बताया कि लगभग 8-10 साल पहले छतराम और उसके पिता संतोष ने धर्मेंद्र के पिता तिलकराम केंवट की हत्या कर दी थी। इस मामले में दोनों को जेल भी भेजा गया था। जेल से छूटने के बाद, छतराम गांव में रहकर मजदूरी कर रहा था, जबकि उसके पिता संतोष पुणे में रोजगार कर रहे थे।
समाज पर पड़ने वाला प्रभाव
इस घटना ने एक बार फिर समाज में फैली हिंसा और बदले की भावना पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह घटना दर्शाती है कि कैसे एक अपराध दूसरे अपराध को जन्म देता है, और इस चक्र को तोड़ना कितना आवश्यक है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
समाज शास्त्री डॉ. रमेश शर्मा का कहना है, “इस तरह की घटनाएं समाज में गहरी दरारें पैदा करती हैं। हमें युवाओं को शांतिपूर्ण समाधान की ओर मोड़ना होगा और कानून को अपने हाथ में लेने की प्रवृत्ति को रोकना होगा।”
आगे की राह
इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि समाज में सुधार और जागरूकता की आवश्यकता है। स्थानीय प्रशासन और सामाजिक संगठनों को मिलकर ऐसे कदम उठाने होंगे जिससे लोगों में कानून का भय हो और वे अपने विवादों को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाएं।