छत्तीसगढ़ के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन मंत्री श्री टंकराम वर्मा ने हरेली त्यौहार के शुभ अवसर पर एक अनूठी पहल की। उन्होंने बलौदाबाजार विकासखंड के ग्राम सकरी में प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के एक लाभार्थी को उनके नवनिर्मित घर में प्रवेश कराया। यह केवल एक औपचारिक कार्यक्रम नहीं था, बल्कि गरीबों के सपनों को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था।
गिरजाशंकर, जो पेशे से एक राज मिस्त्री हैं, ने अपने जीवन की कहानी साझा की। उन्होंने बताया कि पहले वे एक कच्चे मकान में रहते थे, जहाँ उन्हें कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता था। पक्के मकान का सपना तो था, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण वह अधूरा ही रह जाता। लेकिन 2020-21 में उनके जीवन में एक नया मोड़ आया जब उन्हें प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत आवास स्वीकृत हुआ।
गिरजाशंकर ने बताया कि उन्हें तीन किश्तों में कुल एक लाख बीस हजार रुपये मिले। अपनी मेहनत और कुछ अतिरिक्त पैसे लगाकर उन्होंने अपने सपनों का घर बना लिया। यह केवल एक घर नहीं, बल्कि उनके परिवार के लिए एक नई उम्मीद और सुरक्षित भविष्य का प्रतीक है।
मंत्री श्री वर्मा ने इस अवसर को और भी यादगार बनाया। उन्होंने नवनिर्मित मकान के आंगन में कटहल और अमरुद के पौधे लगाए। यह केवल एक सांकेतिक कार्य नहीं था, बल्कि आत्मनिर्भरता और पर्यावरण संरक्षण का एक महत्वपूर्ण संदेश था।
लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती। गिरजाशंकर की पत्नी श्रीमती बुद्धेश्वरी वर्मा को महतारी वंदन योजना के तहत हर महीने एक हजार रुपये मिल रहे हैं। साथ ही, उन्हें प्रधानमंत्री उज्जवला योजना का भी लाभ मिला है। यह दर्शाता है कि सरकार की विभिन्न योजनाएँ कैसे एक-दूसरे को पूरक बनकर गरीब परिवारों के जीवन में सकारात्मक बदलाव ला रही हैं।
मंत्री श्री वर्मा ने अपने दौरे को और भी उपयोगी बनाया। उन्होंने ग्राम सकरी के अमृत सरोवर में जय माँ अन्नपूर्णा स्व-सहायता समूह की महिलाओं द्वारा शुरू किए गए मछली पालन कार्यक्रम का उद्घाटन किया। उन्होंने सरोवर में मछली के बीज डालकर इस पहल की शुरुआत की और महिलाओं को इस लाभदायक व्यवसाय को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया।
यह कार्यक्रम न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में एक कदम है, बल्कि महिला सशक्तीकरण का भी एक उदाहरण है। मछली पालन विभाग द्वारा शुरुआत में 65-70 रोहु, कतला और मृगल मछलियाँ दी गईं हैं, और आने वाले दिनों में लगभग 5000 मछली बीज (फिंगरलिंग) दिए जाने की योजना है।
इस तरह, छत्तीसगढ़ में ग्रामीण विकास की एक नई कहानी लिखी जा रही है, जहाँ आवास, स्वरोजगार और महिला सशक्तीकरण जैसे विभिन्न पहलुओं को एक साथ जोड़कर समग्र विकास की ओर कदम बढ़ाए जा रहे हैं।