भिलाई नगर निगम में कांग्रेस को झटका: तीन पार्षदों ने दिया इस्तीफा
भिलाई नगर निगम में कांग्रेस को झटका: तीन पार्षदों ने दिया इस्तीफा

भिलाई, छत्तीसगढ़ – दुर्ग जिले की राजनीति में एक बार फिर खलबली मच गई है। कांग्रेस पार्टी में बढ़ती गुटबाजी और असंतोष के चलते पार्टी छोड़ने का सिलसिला शुरू हो गया है। हाल ही में, भिलाई नगर पालिक निगम के तीन कांग्रेसी पार्षदों ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है, जिससे स्थानीय राजनीति में हलचल मच गई है।

इस्तीफा देने वाले प्रमुख पार्षद

  1. हरिओम तिवारी – वार्ड 3 के दो बार के पार्षद
  2. रवि कुर्रे – वार्ड 6 के पार्षद
  3. रानू साहू – वार्ड 9 की पार्षद

इन तीनों पार्षदों ने शनिवार को महापौर नीरज पाल के बंगले में जाकर कांग्रेस के भिलाई जिलाध्यक्ष मुकेश चंद्राकर को अपना इस्तीफा सौंप दिया। इस मौके पर भिलाई विधायक देवेंद्र यादव भी उपस्थित थे।

इस्तीफे के पीछे के कारण

पार्षदों ने अपने इस्तीफे के पीछे कई गंभीर कारण बताए हैं:

  1. विकास कार्यों की कमी: अपने-अपने वार्डों में पर्याप्त विकास कार्य न होने से नाराजगी।
  2. उपेक्षा का आरोप: निगम में उपेक्षा का शिकार होने की शिकायत।
  3. असमान विकास: वैशाली नगर से अधिक राजस्व मिलने के बावजूद टाउनशिप में ज्यादा खर्च किया जाना।
  4. जिम्मेदारियों का गलत बंटवारा: महत्वपूर्ण विभागों के प्रभारियों की नियुक्ति में पक्षपात का आरोप।
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महापौर पर लगाए गए आरोप

पार्षदों ने महापौर नीरज पाल पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि महापौर ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के वादे को पूरा नहीं किया, जिसमें वैशाली नगर क्षेत्र में टाउनशिप की तर्ज पर विकास की बात कही गई थी।

कांग्रेस की प्रतिक्रिया

जिलाध्यक्ष मुकेश चंद्राकर ने कहा कि पार्षदों की नाराजगी को दूर करने का प्रयास किया गया है। उन्होंने तीन दिन का समय मांगा है इस मामले पर फैसला लेने के लिए। हालांकि, पार्षद हरिओम तिवारी ने स्पष्ट किया है कि वे अपना फैसला वापस नहीं लेंगे।

भिलाई निगम की वर्तमान राजनीतिक स्थिति

  • भाजपा: 24 पार्षद (4 निर्दलीय समर्थक सहित कुल 28)
  • कांग्रेस: 37 पार्षद (निर्दलीय सहित कुल 40)

यदि तीनों इस्तीफा देने वाले पार्षद भाजपा में शामिल होते हैं, तो स्थिति इस प्रकार हो सकती है:

  • भाजपा: 31 पार्षद
  • कांग्रेस: 37 पार्षद

इस स्थिति में, यदि भाजपा महापौर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाती है, तो उसे बहुमत सिद्ध करने के लिए 10 और पार्षदों का समर्थन या क्रॉस वोटिंग की आवश्यकता होगी।

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यह घटनाक्रम भिलाई नगर निगम की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकता है, जिससे आने वाले दिनों में स्थानीय स्तर पर राजनीतिक गतिविधियाँ तेज हो सकती हैं।


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