बिलासपुर की सड़कों पर आवारा पशुओं की समस्या से निपटने के लिए हाई कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। सोमवार को चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने मुख्य सचिव से शपथपत्र पर यह बताने को कहा है कि सड़कों पर नजर आने वाली मवेशियों से कब तक छुटकारा मिलेगा?
कोर्ट ने इस मामले में 15 दिन का समय दिया है। यह सुनवाई बदहाल सड़कों और आवारा पशुओं से होने वाले हादसों को लेकर दायर की गई जनहित याचिका पर हुई थी।
हाई कोर्ट ने सवाल उठाया – “सड़कों पर लगातार आवारा पशु नजर आते हैं। इस पर लगाम कसने नगर निगम, पालिका परिषद वगैरह क्या कर रहे हैं?” कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाते हुए कहा, “क्या नेशनल हाइवे अथॉरिटी पर ही सड़कों के सुधार का दायित्व है?”
याचिका में क्या कहा गया था?
राजेश चिकारा और संजय रजक ने 2019 में जनहित याचिका दायर की थी जिसमें बताया गया था कि मुख्य मार्गों और शहर की आम सड़कों पर पशुओं को खुला छोड़ देने की वजह से दुर्घटनाएं हो रही हैं। नेशनल हाइवे पर तो स्थिति और भी खतरनाक है, जहां अंधेरे में सड़कों पर बैठे जानवरों के कारण बड़ी दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है, और रोकथाम के लिये भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
अगली सुनवाई अक्टूबर के तीसरे सप्ताह में होगी। मुख्य सचिव के जवाब के बाद हाई कोर्ट आगे क्या कदम उठाता है, यह देखना होगा।