स्वतंत्रता सेनानी के परिवार का संघर्ष: न्याय के लिए आमरण अनशन का ऐलान
स्वतंत्रता सेनानी के परिवार का संघर्ष: न्याय के लिए आमरण अनशन का ऐलान

मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर, नया जिला जो इस वर्ष पहली बार स्वतंत्रता दिवस मनाएगा, वहां एक ऐसा परिवार है जो अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहा है। यह है स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. मौजीलाल जैन का परिवार, जिन्हें सरकार ने 1974-75 में सम्मान स्वरूप जमीन दी थी, लेकिन आज तक उनके वारिस इस जमीन का लाभ नहीं उठा पाए हैं।

परिवार की व्यथा

दया जैन, स्व. मौजीलाल जैन की बहू, और उनके पोते विशाल जैन ने सोमवार को कलेक्टर डी. राहुल वेंकट को एक ज्ञापन सौंपा। इस ज्ञापन में उन्होंने बताया कि उनके परिवार को दी गई 2.023 हेक्टेयर भूमि पर गांव के कुछ दबंग लोगों ने अवैध कब्जा कर लिया है।

दया जैन ने बताया, “जब भी मेरे बच्चे वहां जाते हैं, उन्हें जान से मारने की धमकी दी जाती है। यह स्थिति हमारे लिए असहनीय है।”

परिवार की चुनौतियां

स्व. मौजीलाल जैन के 1985 में निधन के बाद से परिवार इस भूमि का कब्जा पाने के लिए संघर्ष कर रहा है। दया जैन के पति कैलाश चंद्र जैन का कोरोना काल में निधन हो गया, जिससे परिवार की आर्थिक स्थिति और भी कमजोर हो गई।

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दया जैन के दो बेटे हैं, जिनमें से बड़ा बेटा मानसिक रूप से बीमार है। यह परिस्थिति परिवार के समक्ष और भी चुनौतियां खड़ी करती है।

न्याय के लिए आमरण अनशन का फैसला

परिवार ने अब एक कठोर निर्णय लिया है। दया जैन ने घोषणा की, “यदि हमें न्याय नहीं मिला, तो मैं अपने बच्चों के साथ 14 अगस्त को सुबह 10 बजे से आमरण अनशन पर बैठूंगी।” यह दिन स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या है, जो इस मुद्दे को और भी महत्वपूर्ण बना देता है।

प्रशासन से अपील

परिवार ने प्रशासन से अपील की है कि वे इस मामले में हस्तक्षेप करें और उन्हें उनकी कानूनी भूमि का कब्जा दिलाएं। यह न केवल एक परिवार के अधिकारों का मामला है, बल्कि यह एक स्वतंत्रता सेनानी के सम्मान और उनके बलिदान के प्रति देश के कर्तव्य का भी प्रश्न है।

निष्कर्ष

यह मामला हमें याद दिलाता है कि स्वतंत्रता के बाद भी कई लोग अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। यह समय है कि हम अपने स्वतंत्रता सेनानियों और उनके परिवारों के प्रति अपने कर्तव्य को पहचानें और उन्हें वह सम्मान दें जिसके वे हकदार हैं।

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स्वतंत्रता दिवस के इस अवसर पर, यह मामला हमें सोचने पर मजबूर करता है कि क्या हम वास्तव में उन मूल्यों को जी रहे हैं जिनके लिए हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने संघर्ष किया था। यह समय है कि हम अपने इतिहास का सम्मान करें और सुनिश्चित करें कि न्याय सभी तक पहुंचे।

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