सुकमा, एक समय में नक्सलवाद के लिए कुख्यात, आज एक नई उम्मीद की किरण बनकर उभरा है। इस परिवर्तन की जीवंत मिसाल हैं डॉ. माया कश्यप, जिन्होंने अपने संघर्षों को जीतकर न केवल अपने सपनों को साकार किया, बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गईं।
दोरनापाल की बेटी माया का सफर सामान्य नहीं था। छत्तीसगढ़ के इस दुर्गम क्षेत्र में, जहाँ चिकित्सा सुविधाओं का घोर अभाव रहा है, वहाँ से निकलकर डॉक्टर बनना किसी चमत्कार से कम नहीं। माया ने बताया, “छठी कक्षा में ही मेरे पिता का साया सिर से उठ गया। आर्थिक तंगी ने घेर लिया, लेकिन मैंने हार नहीं मानी।”
अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज में अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, माया ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया। उन्होंने कहा, “बाहर के डॉक्टर यहाँ आने से कतराते हैं। मैंने सोचा, क्यों न मैं ही अपने लोगों की सेवा करूँ?” यह निर्णय न केवल उनके व्यक्तिगत जीवन के लिए, बल्कि पूरे सुकमा जिले के लिए एक नई आशा लेकर आया।
भाजपा की छत्तीसगढ़ सरकार ने हाल ही में जिले को दस नए डॉक्टरों की नियुक्ति का तोहफा दिया है, जिसमें डॉ. माया भी शामिल हैं। इस कदम से न केवल स्थानीय स्वास्थ्य सेवाओं को बल मिलेगा, बल्कि यह युवाओं के लिए भी एक सकारात्मक संदेश है कि वे अपने क्षेत्र में रहकर भी उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं और अपने समुदाय की सेवा कर सकते हैं।
डॉ. माया की नियुक्ति ने सुकमा जिला अस्पताल में एक नया उत्साह भर दिया है। स्थानीय निवासियों ने इस खबर का स्वागत किया है, क्योंकि अब उन्हें एक ऐसा डॉक्टर मिला है जो न केवल उनकी भाषा बोलता है, बल्कि उनकी संस्कृति और चुनौतियों को भी समझता है।
दोरनापाल भाजपा मंडल के सदस्यों ने डॉ. माया को फूल और मिठाइयाँ देकर सम्मानित किया। उन्होंने कहा, “माया की सफलता हमारे क्षेत्र के लिए गर्व की बात है। यह दिखाता है कि अगर हमारे युवाओं को मौका दिया जाए, तो वे क्या कुछ नहीं कर सकते।”
डॉ. माया की कहानी नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शिक्षा और स्वास्थ्य के महत्व को रेखांकित करती है। यह दर्शाती है कि कैसे एक व्यक्ति के दृढ़ संकल्प से पूरे समुदाय का जीवन बदल सकता है। आज, सुकमा केवल नक्सलवाद के लिए नहीं, बल्कि अपनी प्रतिभाओं और उनकी उपलब्धियों के लिए जाना जाता है।
डॉ. माया का संदेश स्पष्ट है: “हमें अपने क्षेत्र की चुनौतियों से डरना नहीं चाहिए, बल्कि उन्हें अवसर में बदलना चाहिए। मैं अपने लोगों की सेवा करके गर्व महसूस करती हूँ और आशा करती हूँ कि मेरा यह छोटा सा प्रयास हमारे क्षेत्र में बड़े बदलाव का कारण बनेगा।”