रायपुर 8 जून 2021 मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने आदिवासियों के उत्थान के लिए आजीवन संघर्ष करने वाले महान क्रांतिकारी जननायक श्री बिरसा मुण्डा को उनकी पुण्यतिथि पर नमन किया है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि श्री बिरसा मुण्डा आदिवासी चेतना के प्रणेताओं में से एक थे। उन्होंने आदिवासियों को एकत्र कर जल, जंगल और […]
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Birsa Munda (बिरसा मुंडा)
बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवम्बर 1875 के दशक में झारखण्ड के खुटी जिले के उलीहातु गाँव में एक छोटा किसान के गरीब परिवार में हुआ था। मुंडा एक जनजातीय समूह था जो छोटा नागपुर पठार (झारखण्ड) निवासी था।
बिरसा मुंडा के गुरु का नाम आनंद पांडेय था। बिरसा मुंडा ने मुंडा व्रिदोह (1899-1900 ई.) का नेतृत्व किया था। सन 1895 से 1900 तक बीरसा या बिरसा मुंडा का महाविद्रोह ‘ऊलगुलान’ न(महान हलचल) चला. आदिवासियों को लगातार जल-जंगल-ज़मीन और उनके प्राकृतिक संसाधनों से बेदखल किया जाता रहा और वे इसके खिलाफ आवाज उठाते रहे. मुंडा विद्रोह झारखण्ड का सबसे बड़ा और अंतिम रक्ताप्लावित जनजातीय विप्लव था, जिसमे हजारों की संख्या में मुंडा आदिवासी शहीद हुए।