तेरापंथ महिला मंडल ने आयोजित किया मातृत्व पर विशेष कार्यक्रम, मुनिश्री सुधाकर ने किया मातृत्व का गुणगान
तेरापंथ महिला मंडल ने आयोजित किया मातृत्व पर विशेष कार्यक्रम, मुनिश्री सुधाकर ने किया मातृत्व का गुणगान

रायपुर में आयोजित एक भावपूर्ण सेमिनार में मुनिश्री सुधाकर ने मां की महिमा पर प्रकाश डाला। यह कार्यक्रम तेरापंथ महिला मंडल द्वारा आयोजित किया गया था, जिसमें बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया।

मुनिश्री सुधाकर ने अपने संबोधन में कहा, “मां शब्द में ही पूर्णता है। वह ममता का एक महाकाव्य है, जिसे शब्दों में बयां करना असंभव है।” उन्होंने आगे कहा कि मां की महिमा अनंत है, जैसे आकाश की कोई सीमा नहीं होती।

मुनिश्री ने मां की तुलना प्राकृतिक तत्वों से करते हुए कहा, “सूर्य केवल प्रकाश देता है, लेकिन मां हमें जीवन जीना सिखाती है। चांद में दाग हो सकता है, लेकिन मां का प्रेम निष्कलंक होता है। समुद्र विशाल है, लेकिन उसका जल खारा है, जबकि मां का दूध अमृत से भी मीठा होता है।”

इस अवसर पर मुनि नरेश कुमार ने भी अपने विचार साझा किए। उन्होंने वृद्धाश्रमों की अवधारणा पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा, “हमारी संस्कृति में वृद्धों को आश्रम की नहीं, आश्रय की आवश्यकता है। वृद्धाश्रम हमारी संस्कृति पर एक कलंक है।”

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कार्यक्रम में आईएएस किरण कौशल ने भी अपने विचार रखे। उन्होंने मातृत्व के महत्व पर प्रकाश डाला और समाज में मां की भूमिका पर बल दिया।

सेमिनार में दुर्ग, भिलाई और रायपुर के विभिन्न संगठनों की महिलाओं ने भाग लिया। इनमें आदिश्वर बहुमंडल, मल्ली महिला मंडल, वासुपूज्य मनोहर महिला मंडल, और कई अन्य संस्थाएं शामिल थीं।

कार्यक्रम का संचालन नेहा जैन और मधुर बच्छावत ने किया, जबकि गौतम गोलछा ने समाज की ओर से अपनी भावनाएं व्यक्त कीं। सेमिनार के प्रायोजक रितु सुरेन्द्र चौरड़िया थे।

यह सेमिनार न केवल मां की महिमा का गुणगान करने का एक अवसर था, बल्कि यह समाज में वृद्धजनों के प्रति हमारे दृष्टिकोण पर पुनर्विचार करने का भी एक मंच बना। मुनियों के विचारों ने लोगों को अपने माता-पिता के प्रति कर्तव्यों के बारे में सोचने पर मजबूर किया।

इस तरह के आयोजन हमारी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और पारिवारिक मूल्यों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह हमें याद दिलाता है कि हमारी संस्कृति में मां और वृद्धजनों का कितना महत्व है।

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